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निकाय चुनाव में BJP सरकार शासन एवं प्रशासन का कर रही दुरुपयोग : कमलनाथ

भोपाल, । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश में चल रहे ग्रामीण एवं नगरीय निकाय के चुनाव में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा लगातार शासन एवं प्रशासन का दुरुपयोग और आचार संहिता के खुलेआम उल्लंघन करने का मामला अत्यंत गंभीर है। मीडिया और समाचार पत्रों में निरंतर सामने आ रहा है कि क्षेत्र विशेष के मतदाताओं को चुनाव में प्रभावित करने के उद्देश्य से नवीन कार्याें की स्वीकृति एवं चुनावी मंचों से उस स्वीकृति की घोषणा की जा रही है। आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में समय-समय पर कांग्रेस पार्टी, मीडिया में और राज्य निर्वाचन आयोग से शिकायत कर रही है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिकांश शिकायतों पर अब तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की है जबकि आयोग को स्वयं भी संज्ञान लेकर आदर्श आचरण संहिता के उल्लंघन के मामलों में संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव हेतु कार्यवाही करनी चाहिए।कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदर्श आचार संहिता के दौरान लगातार नवीन विकास कार्यों की स्वीकृति की घोषणाएं करते जा रहे हैं। मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इस तरह के नये फैसले बाकायदा कैबिनेट में स्वीकृत हो रहे हैं। नवीन आईटी नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना किये जाने के निर्णय एवं इसकी घोषणाए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी प्रचार की सभाओं के मंच से कर रहे हैं। कमलनाथ ने कहा कि आदर्श आचार संहिता के तहत स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने के लिए इस तरह की स्वीकृतियॉं एवं घोषणायें चुनाव की आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। इन सब विषयों पर कांग्रेस पार्टी ने राज्य चुनाव आयोग को शिकायत करके अवगत कराया है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अब तक ज्यादातर मामलों में कोई कार्यवाही नहीं की गई।

कमलनाथ ने सवाल किया कि जनता के मन में प्रश्न उठ रहा है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं संवैधानिक संस्था की तरह काम कर रहा है या नहीं, शिवराज सिंह चौहान सरकार कहीं राज्य निर्वाचन आयोग को भी अपना एक विभाग मानकर तो काम नहीं करा रही है? साक्ष्यों के साथ शिकायत मिलने एवं मीडिया में प्रकाशित एवं प्रचारित होने के बावजूद निर्वाचन आयोग अगर कार्यवाही नहीं कर रहा तो इसके पीछे, क्या राजनीतिक दबाव का हाथ है?
कमलनाथ ने पूछा की जनता जानना चाहती है कि निर्वाचन आयोग के जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा इस तरह का आचरण क्यों किया जा रहा है, या फिर राज्य निर्वाचन आयोग संविधान द्वारा प्रदत्त अपनी शक्तियों का उपयोग किसी अन्य कारण से नहीं करना चाहता। कमलनाथ ने कहा कि जनता के मन में यह प्रश्न इसलिए आ रहे हैं कि पंचायत चुनाव में सदस्यों पर दबाव डालने के बहुत से मामले साक्ष्य सहित सामने आ चुके हैं, कई जगहों पर प्रशासन के संरक्षण में बूथ कैप्चर होने की शिकायतें भी की गई हैं, कई सदस्य प्रत्याशी वीडियो जारी करके बता चुके हैं कि सत्ताधारी पार्टी उन्हें दूसरे पक्ष में आने के लिए प्रताड़ित कर रही है। यह सब अत्यंत गंभीर मामले हैं और इन मामलों पर राज्य निर्वाचन आयोग की चुप्पी बहुत से सवाल खड़े करती है, कमलनाथ ने कहा कि भारत के संविधान में राज्य सरकार की शक्तियां और राज्य निर्वाचन आयोग की शक्तियां स्पष्ट रूप से वर्णित हैं। इसके अलावा लोकतंत्र में परंपराओं का संविधानिक मान्यताओं के बराबर का महत्व होता है, उन परंपराओं से भी स्पष्ट है कि एक निष्पक्ष चुनाव आयोग किस तरह काम करता है। कमलनाथ ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से अपेक्षा करता हूं कि संवैधानिक पद की गरिमा का पालन करते हुए स्वयं बार-बार आचार संहिता का उल्लंघन करने से खुद को अलग रखें। गलत आचरण करने से ऐसा हो सकता है कि एक आध चुनाव क्षेत्र में उन्हें थोड़ा बहुत फायदा मिल जाए, लेकिन अंततः इससे मध्यप्रदेश के भविष्य को दूरगामी खतरा पैदा हो जाएगा और गलत परंपराओं की नींव पड़ेगी।

कमलनाथ ने कहा कि मैं राज्य निर्वाचन आयोग का भी ध्यान आकर्षित करता हूं कि वह पंच परमेश्वर की संवैधानिक भूमिका में आए और जनता जनार्दन को अपना नेता चुनने में उचित संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित कराये। कमलनाथ ने एक अंग्रेजी कहावत Your Judgment judges you and defines you का उल्लेख करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि आपका फैसला आपके बारे में भी फैसला करता है और आप को परिभाषित करता है। इसलिए सभी को चाहे वह किसी भी पद पर हों और किसी भी संस्था में बैठे हों, उन्हें सच का साथ देना चाहिए और भारत के लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए और वो तभी हो सकेगा जब चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं पारदर्शी तरीके से सम्पन्न हो सके। कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश की जनता को इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 15 महीने बाद कांग्रेस की सरकार बनने वाली है। ऐसे में आप सब खुद बुद्धिमानी से लोकतंत्र और चुनाव प्रणाली का सम्मान करें और सत्य का साथ दें।

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