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सावन की शिवरात्री क्यों मनाई जाती है?

सबसे पहले बात करें शिवरात्री मनाने की पीछे की वजह की तो इसी दिन समुंद्र मंथन से निकले हलाहल विष का भगवान शिव ने पान किया था और उसके असर से पूरी सृष्टि को बचाया था. सावन में इसी दिन गंगा जल से कांवड़िएं भगवान शिव का अभिषेक करते है. क्योंकि उनका ये मानना होता है कि इसी दिन भगवान शंकर ने जहर पिया था तो जल चढ़ाकर उसकी जलन से उनको राहत पहुंचाई जाती है.

इस बार सावन की शिवरात्रि 6 अगस्त को है. वैसे तो कृष्ण शिवरात्रि पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है, लेकिन सावन में पड़ने वाली शिवरात्रि बेहद खास मानी जाती है. कहते हैं इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, 6 अगस्त शाम 06 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा जो 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा. वहीं व्रत पारण की बात करें तो इसका समय 07 अगस्त शनिवार की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा जो दोपहर 03 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा.

इस आसान विधि से करें शिव-पार्वती की पूजा

जो लोग शिव का व्रत कर उन्हें प्रसन्न करना चाहते हैं वह इस आसान विधि से शिव-पार्वती की पूजा कर सकते हैं. सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान आदी करें फिर साफ कपड़े धारण करें. इसके बाद आप अगर हो सके चो पास के शिव मंदिर जाएं या फिर घर में ही शिव की पूजा कर सकते हैं. अब शिवलिंग का दूध या जल से जलाभिषेक करें. अब शिवलिंग को चंदन से तिलक लगाकर पूजा सामग्री अर्पित करें. अब आप मोली या जनेऊ से शिव और पार्वती का गठबंधन करें और माता पार्वती को श्रृंगार चढ़ाएं.