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मामा के राज में मध्यप्रदेश में किसानों का चौतरफा शोषण

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश का किसान चौतरफा शोषण झेलने के लिए मजबूर है। कभी फसल का सही मूल्य नहीं मिलता तो कभी तौल के नाम पर उससे वसूली की जाती है। कभी कृष उपज को खराब बताकर उसे चार से पांच दिन तक खड़ा रखा जाता है। जांच के नाम पर उसकी फसल से हर बोरे से दो से पांच किलो तक अनाज निकाल लिया जाता है।
ताजा मामला बैराड़ का कृषि मंडी का है। यहां के शासकीय कृषि उपार्जन केंद्र पर खरीद केंद्र प्रभारी एवं सर्वेयर द्वारा भारी मात्रा में अनियमितता का मामला सामने आ रहा है। यह सब सरकार की शह पर खुलेआम हो रहा है।
बतौर किसानों के अनुसार कृषि उपज की तुलाई कराने के नाम पर केंद्र प्रभारी एवं सर्वेयर द्वारा साठगांठ से 100 रुपए प्रति क्विंटल 2 हजार से 3 हजार रुपए प्रति ट्रॉली नहीं देने पर कृषि उपज को खराब बताकर चार-पांच दिन तक किसान का माल नहीं तौलकर किसानों को परेशान किया जा रहा है। इतना ही नहीं शासकीय नियम के विपरीत 50 किलो के प्रति कट्टे की तौल पर कट्टे का वजन शासन द्वारा निर्धारित किया है, लेकिन 50 किलो 800 ग्राम प्रति कट्टा किसान से ली जा रही है। इतना ही नहीं किसानों द्वारा पैसे नहीं दिए जाने पर उनकी तौल में जान बूझकर परेशान किया जाता है। वहीं खरीदी केंद्र प्रभारी मस्तराम शर्मा द्वारा आरोप को नकारते हुए केंद्र पर कोई गलत कार्य नहीं होने की बात कही है।

किसानों का आरोप है कि सैंपल के नाम पर 2 से 5 किलो चना लिया जा रहा है। इसकी शिकायत करने वाले किसानों को कृषि उपज का भुगतान नहीं कराने की धमकी दी जाती है। वहीं कुछ किसानों ने बताया है कि शिकायत के बाद भी संबंधित के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। खासबात यह है कि शासन द्वारा उपार्जन केंद्र पर तैनात किए मजदूरों के नाम पर केंद्र प्रभारी द्वारा 8 रुपए प्रति कट्टा मजदूरी अलग से ली जा रही है।