शिवराज मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार सोमवार को संभव
मध्यप्रदेश में एकबार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोरों पर हैं। हालांकि मध्यप्रदेश राजभवन में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या और राज्यपाल की खराब तबीयत इसमें रूकावट बन सकती है। ऐसे में कार्यवाहक राज्यपाल और शपथ ग्रहण स्थल पर भी पर भी विचार तेजी से जारी है। शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम मंजूरी केंद्रीय नेतृत्व देगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा केंद्रीय नेतृत्व से समय मांगे जाने के बाद मंत्रिमंडल के कयासों का दौर तेज हो गया है। इसके अलावा सबसे बड़ा पेच गोपाल भार्गव को लेकर भी फंसा हुआ है।
सूत्रों की माने तो अगर सबकुछ ठक रहा तो शपथ ग्रहण समारोह 30 जून यानि सोमवार को होगा। राज्यपाल लालजी टंडन की अस्वस्थ होने के चलते छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया ऊइके नए मंत्रियों को शपथ दिला सकती हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और संगठन मंत्री सुहास भगत के साथ मिलकर मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले संभावित भाजपा विधायकों और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के नाम तय कर लिए हैं।
उपचुनाव को ध्यान में रखने के साथ जाति, क्षेत्र और सामाजिक संतुलन का मंत्रिमंडल में खासा ध्यान रखा जा रहा है। इसके साथ पार्टी के वरिष्ठ विधायको पर भी ध्यान दिया जा रहा है। सिंधिया समर्थकों के 11 नेताओं (गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट के बाद अब 9 मंत्री और बन सकते हैं) को मंत्रिमंडल में लेने के बाद 18 से 19 पद भाजपा को मिलेंगे। कांग्रेस के बागियों में प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिसोदिया, राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप सिंह डंग का नाम है। भाजपा के दो मंत्री बन चुके हैं। लिहाजा, 15 से 16 चेहरे भाजपा से तय करने हैं। विंध्य, बुंदेलखंड और भोपाल संभाग से पार्टी पर दबाव है। ऐसे में कुछ पुराने चेहरे ड्रॉप हो सकते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ विघायक गोपाल भार्गव को क्षेत्रीय संतुलन के चलते विधानसभा अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। लेकिन गोपाल भार्गव इसके लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्तव के सामने अपनी बात भी रख दी है। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर भी अपना पक्ष रख दिया है।