विजयर्गीय और शेखावत के खेल में उलझ गए इंदौर की भाजपा
इंदौर। इंदौर भाजपा संगठन इतने एंगल हो गए हैं कि अब भाजपा के लिए एकजुट होना मेढक को एकसाथ तराजू पर तौलने जैसे हालात थे। इंदौर में ‘ताई’ सुमित्रा महाजन और ‘भाई’ कैलाश विजयवर्गीय की अबतक चलती रही है। जिसका शिकार भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक भवंरसिंह शेखावत जैसे लोगों को समय समय पर होना पड़ता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर फिर तीखे हमले किए हैं।
मीडिया से शेखावत ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने न केवल मेरे, बल्कि कई सीटों पर बागी प्रत्याशी उतारकर उन्होंने पार्टी को हरवाया। अब वे उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक प्रत्याशियों वाली पांच सीटों पर पार्टी को चुनाव हरवाकर एमपीसीए की हार का बदला लेना चाहते हैं। इसीलिए सांवेर, बदनावर सहित पांच सीट उन्होंने मन से चुन लीं।
शेखावत ने कहा कि अपने बेटे का राजनीतिक करियर संवारने के लिए विजयवर्गीय ने उषा ठाकुर को शहर से बाहर करवाया। बल्ला कांड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक तौर पर आकाश को पार्टी से बाहर करने के आदेश को भी नहीं माना। पता नहीं संगठन विजयवर्गीय से क्यों डरता है?
शेखावत ने कहा, ताई (सुमित्रा महाजन) और भाई (विजयवर्गीय) ने शहर की राजनीति को बिगाड़ा। दोनों अपने हिसाब से पार्टी चलाना चाहते हैं। कांग्रेस की तरफ से बदनावर सीट पर चुनाव लड़ने का ऑफर आया है, मगर मैं पार्टी नहीं छोड़ूंगा।
मुझे हराने के लिए राजेश अग्रवाल को लड़ाया और उनकी आर्थिक मदद की। अब उसे फिर पार्टी में ले आए। मेरी बरसों की मेहनत को भुलाकर विजयवर्गीय कह रहे हैं कि अग्रवाल एक तरह से कैबिनेट मंत्री हैं। कैलाश को मैं 1980 में पार्टी में लाया। आज वे बड़े नेता हैं, लेकिन उन्हें पार्टी की कभी चिंता नहीं रही। इधर, इन आरोपों पर विजयवर्गीय ने कहा, शेखावत बड़े नेता हैं, उनके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।