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मध्य प्रदेश उपचुनाव: कांग्रेस की जनाधार वाले उम्मीदवार की तलाश

मध्य प्रदेश की सत्ता गंवाने के बाद अगले कुछ समय में 24 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहमियत वाले हैं, क्योंकि इन इलाकों में कांग्रेस अपनी पहली पंक्ति के नेताओं को खो चुकी है। यही कारण है कि कांग्रेस ने जमीनी नब्ज टटोलने के साथ क्षमतावान उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी है। कांग्रेस हाईकमान ने पिछले विधानसभा चुनाव में प्रभारी महासचिव के नेतृत्व में चार राष्ट्रीय सचिवों को प्रदेश के अलग-अलग हिस्से की जिम्मेदारी सौंपी थी। इन सचिवों को जगह-जगह बैठकें करके संगठन की क्षमता के साथ जनाधार वाले नेता की खोज की जिम्मेदारी भी थी। ये प्रभारी सचिव सीधे पार्टी हाईकमान से जुड़े हुए थे।

कारगर रणनीति के चलते कांग्रेस डेढ़ दशक बाद राज्य में सत्ता में लौटी थी।

कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार प्रदेश में लगभग 15 माह रही, मगर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक तत्कालीन 22 विधायकों के पार्टी छोड़ने से सरकार गिर गई। राज्य में आगामी समय में इन 22 स्थानों के साथ अन्य रिक्त दो स्थानों पर कुल मिलाकर 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है और इनमें सबसे ज्यादा 16 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जो सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में हैं।

राज्य में सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस उपचुनावों की तैयारी में जुटी हुई है। पार्टी प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कांग्रेस उपचुनाव पूरी क्षमता और ताकत से लड़ेगी साथ ही सत्ता में वापसी करेगी, क्योंकि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को पांच साल के लिए जनादेश दिया था। वहीं, दलबदलू को सबक भी सिखाएगी। पार्टी सक्षम और चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों का सर्वे करा रही है।

पार्टी में हुई बगावत के बाद जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं, वहां पर कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेताओं का टोटा है, क्योंकि वे सभी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इन विषम परिस्थितियों में पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव पद पर बदलाव किया है। दीपक बावरिया की जगह मुकुल वासनिक को कमान सौंपी है। दूसरी ओर, प्रभारी सचिवों में दो को बदला है। दो सचिव सुधांशु त्रिपाठी और संजय कपूर पूर्ववत हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव में बड़ी चुनौती ग्वालियर-चंबल से बाहर के इलाकों में है। पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़े, इसके लिए संगठन को और मजबूत करने के साथ जनाधार वाले उम्मीदवार की तलाश भी आवश्यक है। पार्टी ने पूर्व से कार्यरत राष्ट्रीय सचिव सुधांशु त्रिपाठी और संजय कपूर को सात-सात विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं नए प्रभारी सचिवों पीसी मित्तल और कुलदीप इंदौरा को पांच-पांच विधानसभा क्षेत्रों का प्रभार दिया गया है।

पार्टी ने जिन सचिवों को विधानसभा क्षेत्रों का प्रभारी बनाय है, उनमें से सुधांशु त्रिपाठी अब तक मुरैना जिले की उपचुनाव वाली सीटों कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर चुके हैं और भिंड में बैठकों का दौर शुरू हो रहा है। त्रिपाठी संगठन की स्थिति के साथ क्षेत्र के जनाधार वाले नेता की तलाश कर रहे हैं।

राजनीति के जानकारों की मानें तो उपचुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ी चुनौती जनाधार वाले उम्मीदवार की है, क्योंकि जिन स्थानों पर उपचुनाव होना है, वहां पार्टी से बड़े और क्षेत्रीय नेता भाजपा में जा चुके है। लिहाजा, कांग्रेस को नए चेहरों पर दाव लगाना होगा, दल-बदल कर कई नेता आएंगे, मगर वे जीत दिला पाएंगे इसमें संदेह रहेगा। यही कारण है कि कांग्रेस ने अभी से जमावट शुरू कर दी है और जमीनी हकीकत को समझा जा सके।

सौजन्य से: हिन्दुस्तान टाईम्स