भगवान हनुमान जी से जुड़ी ये बातें शायद ही आपको पता होंगी
हनुमान जी के जीवन के ऐसे कई रोचक प्रसंग आपको हम बताने जा रहें है जिसके बारे में शायद ही आपको पता होगा। इसमें आपको बताएंगे की आखिर हनुमानजी सिंदूर क्यों पसंद करते हैं । साथ ही ये भी जानेंगे कि नटखट नन्हें मारुति ने ऐसा क्या किया कि उनका नाम हनुमान रख दिया गया। इस हनुमान जयंती के पावन मौके पर अन्य ऐसी ही और भी रोचक बातें हनुमान जी के बारे में बताएंगे।
रावण को मारकर राम जी सीता जी को लेकर अयोध्या आए थे। उनके साथ उनके परम भक्त हनुमान भी आये थे। एक दिन हनुमान जी ने माता को अपने मांग में सिंदूर भरते हुए देखा और पुछा की माता आखिर आप अपने मांग में सिंदूर क्यों भारती हैं। माता ने बड़ी ही सरलता से उन्हें कहा की ऐसा करने से भगवान श्री राम खुश रहते हैं और साथ ही ऐसा करने से उनकी आयु में भी वृद्धी होती है।
ऐसा सुनते ही श्री राम जी के परम भक्त हनुमान जी ने अपने पुरे शारीर को सिंदूर से नहला दिया और ऐसे ही श्री राम के सामने गए। ऐसी अवस्था में देखकर भगवान श्री राम आश्चर्य में पड़ गए। तब हनुमान जी ने माता सीता की कही हुई बात कही और इसे जानने के बाद प्रभु श्री राम के मन में हनुमान जी के लिए और प्रेम बढ़ गया।
सूर्य भगवान की बेटी से हुई थी हनुमान जी की शादी:
हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं यह बात सभी को पता है। लेकिन क्या अप जानते है की हनुमान जी की शादी हुई थी। दरअसल, शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देवता को अपना गुरु बनाया था। हनुमान जी को सूर्य भगवान से 9 विद्याये सीखनी थी जो सूर्य भगवान जानते थे। सूर्य भगवान ने उन्हें शुरू के 5 विद्यायों को सिखा दिया मगर बाकि की 4 विद्या सिखाने के लिए उन्होंने विवाह करने को कहा। क्यों की बाकि की विद्या केवल विवाहित को ही दिया जा सकता था।
अपने गुरु सूर्य भगवान के आज्ञा के अनुसार हनुमान जी ने शादी करने के लिए चयन किया मगर उन्हें कोई नहीं मिली। तभी सूर्य भगवान ने अपनी परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से हनुमान को शादी करने की प्रस्ताव दिया। हनुमान जी और सुवर्चला की शादी हो गई। सुवर्चला परम तपस्वी थी। शादी होने के बाद सुवर्चला तपस्या में मग्न हो गई। उधर हनुमान जी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को हासिल करने में लग गए। इस तरह से भगवान हनुमान की शादी जरुर हुई थी मगर उनका ब्रह्मचर्य कभी नहीं टुटा।
मारुती से कैसे बने हनुमान:
हनुमान जी जब छोटे थे तब एक दिन उनका ध्यान सूर्य पर गया जहां उन्हें सूर्य एक लाल मीठे फल की तरह लगा। सूर्य को देखते ही हनुमान जी सूर्य को खाने के लिए पहुच गए। जैसे ही उन्होंने अपने मुह खोल सूर्य को खाने के लिए तब इंद्र देव ने मारुति को ऐसा करता देखा तो अपना वज्र उन पर छोड़ दिया। वज्र जाकर मारुति की हनु यानी कि ठोड़ी पर लगा। और तब से ही मारुती का नाम हनुमान पड़ गया।