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‘मोदी जी, पुरुष को भी करना चाहिए घर का काम’ डाली गयी पिटीशन

312 मिनट यानि सवा पांच घंटे में महिलायें घर का काम खतम कर लेती हैं. सर्वे के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय श्रम आयोग (इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन –ILO) की एक रिपोर्ट बताती है. कि भारत के शहरी इलाकों में महिलाएं रोज़ 312 मिनट का ऐसा श्रम करती हैं, जिसके बदले उन्हें कोई पारिश्रमिक/पैसा नहीं मिलता. वहीं पुरुष रोज़ 29 मिनट ही ऐसे काम करते हैं.

पुरुष भी हांथ बटाएँ इसी को लेकर सुबर्णा घोष नाम की महिला ने एक पिटीशन डाली है. change.org नाम की साइट पर. पिटीशन में मांग की गई है कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी अगली स्पीच में भारतीय पुरुषों से कहें कि वो भी अपने घर के कामों में बराबरी से हाथ बंटाएं.

क्या है जरूरत पिटीशन की?

‘ऑक्सफैम इंडिया’ की रिपोर्ट बताती है कि NITI आयोग के डेटा के अनुसार, भारत की महिलाएं भारत की GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट- सकल घरेलू उत्पाद) में 17 फीसद का ही योगदान कर पाती हैं. ये वैश्विक एवरेज (37 फीसदी) से बेहद कम है. चीन और अफ्रीका में ये क्रमशः 41 और 39 फीसदी है.

पिटीशन में सुबर्णा ने पीएम के नाम एक कविता लिखी है. इसमें वो कहती हैं,

डियर पीएम,

लॉकडाउन के बहाने से एक बात याद आया

घर-बंदी क्या मर्दों को किसी ने समझाया

घर का काम ‘औरत का है’ बोलके उसने ठुकराया

GDP की बात छोड़ो, अपनों ने भी भुलाया

तब सोचा क्यों न मोदी जी से बात चलाये

कि अगली स्पीच में मर्दों को ये याद दिलाये

घर का काम हर दिन है सबका

लॉकडाउन में फिर काम क्यों बढ़ता?

भागीदारी ही है ज़िम्मेदारी

क्या बराबरी नहीं इंडिया को प्यारी?

सुबर्णा घोष चाहती हैं कि अगर पीएम मोदी इस मुद्दे पर बात करेंगे, तो लोग जागरूक होंगे, उनका इंटरेस्ट बढ़ेगा. कम से कम इस मुद्दे पर बात होगी. उनके बोलने पर ही ये फोकस में आ जाएगा, उसके बाद हम डेटा देकर बातें प्रूव कर सकते हैं. और इस पर डिस्कशन आगे बढ़ सकता है.