आखिर क्यों छलनी के पीछे से पति को देखते हैं? कब चंद्रोदय होगा जानें
करवा चौथ (जिसे करवा चौथ भी कहा जाता है) मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज, वट सावित्री व्रत की तरह करवा चौथ का उद्देश्य पुरुष और उसकी पत्नी के बीच के बंधन को मजबूत करना है।हालांकि, अविवाहित लड़कियां (18 वर्ष से अधिक) भी मनचाहा पुरुष पाने की आशा के साथ व्रत रखती हैं। करवा चौथ 2021 की तारीख, शुभ मुहूर्त, उपवास का समय और अन्य महत्वपूर्ण विवरण जानने के लिए इस लिंक को देखें
चंद्रोदय का समय
करवा चौथ पर चंद्रोदय (चांद निकलने का समय) रात्रि 8 बजकर 7 मिनट पर होगा। लेकिन अलग-अलग शहरों में इसके समय में बदलाव भी हो सकता है।
करवा चौथ पूजन का समय
करवा चौथ पूजन का समय 24 अक्टूबर शाम 5:43 बजे से शाम 6:59 तक रहेगा।
करवाचौथ पूजा विधि
- इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार सरगी आदि ग्रहण करें।
- स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें।
- यह व्रत पूरे दिन निर्जला यानी बिना जल के किया जाता है।
- शाम को समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवाचौथ की कथा पढ़े।
- चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें।
- टोटी वाले एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें।
- मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रुप में कुछ पैसे रख दें।
- एक थाली में श्रंगार का सामान भी रख लें।
- चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें।
- सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें।
- श्रंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें।
- अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें।
- इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें।
- अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
- पूजन की गई श्रंगार की सामाग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें।
करवा चौथ क्यों मनाते है?
करवा चौथ विशेषकर नारियों का त्योहार है। हिन्दू धर्म में कहा गया है कि नारी जिस भी मनोकामना के लिए व्रत करेगी तो उसका फल उसे अवश्य मिलेगा। खासकर महिलाएं अगर अपने सुहाग के लिए व्रत रखती है तो उसे उसका फल अवश्य मिलेगा।
पौराणिक कथाओं में इस बात का उल्लेख किया गया है कि माता पार्वती अपने पति शिव को पाने के लिए तप और व्रत करती है और उसमें सफल हो जाती है, वहीं, पुराणों में यह भी उल्लेखित है कि सावित्री अपने मृत पति को अपने तप के बल पर यमराज से भी छुड़ाकर ले आती है। इसी तरह महिलाएं भी करवा चौथ के दिन तप करती है ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो सकें।
महिलाएं करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती है, कई बार तो चांद देर से निकलता है, ऐसे में महिलाएं देर रात तक व्रत नहीं तोड़ती है। यह पति के लंबी उम्र के लिए तप ही है।