क्यों किन्नर समाज एक दिन के लिये विवाह करता है, महाभारत से जुड़े कई तथ्यों का है समावेश
यूं तो हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उन्हें यक्षों और गंधर्वों के बराबर का स्थान दिया गया है. और धर्मग्रंथ शिखंडी, इला, मोहिनी आदि किरदारों से भरे हुए हैं
आदिशक्ति का अर्द्धनारीश्वर अवतार भी ऐसा ही एक किरदार है. इसका निर्माण शिव और पार्वती के मेल से होता है. हिंदू धर्म में इस रूप की पूजा भी की जाती है. यहां तक कि मुगलकाल तक भारत में ट्रांसजेंडर लोगों को कई बार सुरक्षा और रणनीति से जुड़े मुद्दों पर फैसले लेने वाले बड़े पदों पर भी रखा गया था.
बहरहाल ज्यादातर ट्रांसजेंडर भारत में श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं. कृष्ण की कहानियों में कई बार ट्रांसजेंडर लोगों का जिक्र आता है. महाभारत में भी हिंदू समाज में ट्रांसजेंडर लोग दिखाए गए हैं. अर्जुन को बृहन्नला नाम के किन्नर के तौर पर दिखाया गया है. महाराजा विराट के दरबार में नृत्य और गायन सिखाने का काम करते उन्हें दिखाया गया है.
भारत में ज्यादातर किन्नरों को ‘हिजड़ा’ ही कहा जाता है. ज्यादातर जगहों पर ये लोग अपनी ही सोसाइटी बनाकर, दुनिया से कटकर, कुछ ही घरों में रहने को मजबूर हैं. ये शादियों में नाच-गाकर या बाल बनाने वाले, फूल बेचने वाले या घरेलू काम-काज करने वालों के तौर पर जिंदगी गुजार रहे हैं. हालांकि कई अंधविश्वासों के चलते इनके आशीर्वाद का काफी महत्व बताया जाता है. लेकिन यह दुखद है कि अभी पिछले साल ही भारत में ट्रांसजेंडर लोगों को एक तीसरे जेंडर के तौर पर मान्यता मिल सकी है.
आज आपको इस आर्टिकल में किन्नरों के विवाह के बारे में बताते हैं की आखिर क्यों किन्नर एक दिन के लिये विवाह करते हैं.
भगवान से विवाह
जी हां किन्नर एक दिन के लिए भगवान से विवाह करते है और दूसरे दिन ही विधवा हो जाते है. वह अपने भगवान अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाते है. वह इनसे विवाह करते है.
जश्न के बाद होता है विलाप
आप ये बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि विवाह के बाद किन्नर जश्न मनाते है. इसके बाद अपने देवता इरावन को पूरे शहर में घूमाते है. इसके बाद उस मूर्ति को तोड़ देते है. फिर किन्नर विलाप करते है और विधवा हो जाते है.
ऐसे हुई किन्नर के विवाह की शुरुआत
किन्नर के विवाह की शुरुआत महाभारत से बताई जा रही है. इसके अनुसार महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की और पूजा के बाद इन्हें एक राजकुमार की बलि देनी थी. बलि के लिए कोई भी राजुकमार तैयार नहीं हुआ. मगर इरावन तैयार हो गया, लेकिन उसकी एक शर्त थी कि वह बिना शादी किए बलि पर नहीं चढ़ेगा. आप सबसे बड़ा सवाल था कि एक दिन के लिए इरावन से शादी कौन करेगा.
श्री कृष्ण ने निकाला हल
अब शादी की बात में श्री कृष्ण ने इसका हल निकाला. वह मोहिनी का रुप धारण करके आए और इरावन से शादी से की. अगले दिन सुबह इरावन की बलि दे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया. इस घटना को याद करके ही किन्नर एक दिन के लिए विवाह करते हैं और अगले दिन विधवा हो जाते हैं.
तमिलनाडु में 18 दिनों तक चलता है किन्नरों का विवाहोत्सव
अगर आप बी चाहते है कि किन्नरों का विवाह देखे तो आप तमिलनाडु जा सकते है. यहां तमिल नववर्ष की पहली पूर्णमासी को किन्नरों के विवाह का उत्सव शुरू होकर 18 दिनों तक चलता है. 17वें दिन ये अपने भगवान इरावन के साथ ब्याह रचाते हैं और अगले दिन सारा श्रृंगार उतारकर विधवा की भांति विलाप करते हैं.
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