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नाग पंचमी का त्यौहार आखिर क्यों मनाया जाता है, जाने पूजा विधि

नाग पंचमी’ हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है. यह हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण माह में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन (पंचमी) मनाया जाता है. यह पूरे भारत भर में मनाया जाता है. यह आम तौर पर आधुनिक कैलेंडर के अनुसार जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ता है.

नाग पंचमी के त्यौहार के उत्सव के पीछे कई कहानियाँ हैं. सबसे लोकप्रिय कथा भगवान कृष्ण के बारे में है. श्रीकृष्ण बस एक युवा लड़के थे. वह अपने दोस्तों के साथ गेंद फेंकने का खेल खेल रहे थे. खेलने के दौरान, गेंद यमुना नदी में गिर गई. कृष्ण ने कालिया नाग को परास्त किया और लोगों का जीवन बचाया.

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक त्यौहार है जिसमें नाग की पूजा की जाती है. इसीलिये इस पंचमी को नागपंचमी कहा जाता है. इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है. और उन्हें दूध पिलाया जाता है.

इस दिन लड़कियां अपने हाथों से रंग-बिरंगी गुड़िया बनाती हैं और किसी जलाशय में गुड़ियों का विसर्जन करती हैं. लड़के इन गुड़ियों को रंग-बिरंगी छड़ियों से ख़ूब पीटते हैं. फिर बहन उन्हें भेंट अर्पित करती हैं. इसीलिए इसे ‘गुड़िया’ का त्यौहार भी कहा जाता है. उक्त प्रथा शहरों से धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है.

नाग पंचमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस वर्ष नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार के दिन है. यह पर्व 12 अगस्त को दोपहर 3:24 बजे शुरू होगा और 13 अगस्त को दोपहर 1:42 तक रहेगा.

नाग पंचमी के दिन बासी भोजन करने की भी प्रथा है. इसलिए आप एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लें. इस पर्व पर एक रस्सी में 7 गांठ बांध कर उसे लकड़ी के पाटे पर रखें. इसे सर्प का प्रतीक मानकर हल्दी, रोली, अक्षत, घी और कच्चे दूध से पूजा करें. पंडित जी कहते हैं, ‘प्रसाद के रूप में आप मीठा दूध और भीगे हुए काले चने नाग देवता को अर्पित कर सकते हैं.’

पंडित जी यह भी बताते हैं कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने पर सर्पदंश जैसी विपत्तियों से छुटकारा मिल जाता है. पंडित जी बताते हैं, ‘नाग पंचमी के दिन आपको घर के मुख्यद्वार पर मिट्टी की प्याली में दूध और चना डालकर रखना चाहिए. इससे आपके परिवार पर नाग देवता की कृपा बनी रहती है.’