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कोरोना के बाद मिट्टी के घड़े में पानी पिने को क्यों कहते हैं ?

आपने भी देखा होगा की हमारे भारत में बरसो से लोग घर में पानी के लिए मिट्टी के बर्तनो या फिर मिट्टी के घडो का इस्तमाल करते है. इसके पीछे कोई ऐसा कारण नहीं है, लेकिन लोगो का मानना है की मिट्टी के बर्तनो में पानी रखने से उस पानी में मिट्टी की भीनी – भीनी खुशबु आती है साथ ही पानी का टेस्ट भी अलग आता है. लोगो का मानना है की मिट्टी में ऐसे कई सारे तत्व होते है जिसको पिने से कई तरह के फायदे होते है.

कहा जाता है की मिट्टी के घड़े के पानी पिने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिसे हम आसान शब्दों में कह सकते है की इससे हमारे शरीर का इम्युनिटी पावर बढ़ता है. पानी को मिट्टी के बर्तन में रखने से उसके सारे गुण पानी में आजाते है. आपको बता दे की रोज मिट्टी के घड़े का पानी पिने से आपका मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है. आपने यह भी सुना होगा की प्लास्टिक की बोतल का पानी पिने से जो प्लास्टिक की अशुद्धियाँ रहती है वो सब पानी में आजाती है और जिससे हमारे शरीर में भी अशुद्धि हो जाती है.

घड़े में पानी रखने से उसका pH भी सही रहता है. क्योकि मिट्टी के सारे गुण पानी में आजाते है जिससे पानी का pH बराबर रहता है. यहाँ तक की इस घड़े के पानी को पिने से आपको पेट दर्द या फिर ऐसीडीटी जैसी तकलीफो से छुटकारा मिलता है. यहाँ तक की जब एक महिला गर्भवती होती है तो उसके लिए भी यह घड़े का पानी बहुत ही फायदेमंद होता है.

ये बात सभी जानते है की गर्मियों के मौसम में हार कोई फ्रीज का ठंडा पानी ही पिता है, जिससे सर्दी, खासी, गले में खराश और ऐसी बहुत सी समस्या होती है, लेकिन घड़े के पानी से इस तरह की कोई समस्या नहीं होती है. ये आपके गले को सूदिंग प्रदान करता है. ऐसा भी कहा जाता है की जो घड़े का पानी होता है वह पानी के विषैले तत्वों को सोख लेता है और पानी को शुद्ध बनाता है.