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सिर्फ क्रिकेट में ही क्यों है भारत अव्वल ?

एक देश की अर्थवयवस्था को चलाने के लिए युवा साथियो का बड़ा हाथ होता है. भारत एक युवा देश है जहाँ की 65 % आबादी युवा है. इसका सीधा असर कई अलग अलग क्षेत्र पर पड़ता है. जिस क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवा होंगे वहां अधिक काम करने की क्षमता होगी. देश के युवाओं का हर क्षेत्र में एक बेहतर योगदान रहता है. लेकिन क्या भारत इस युवा शक्ति का सही उपयोग कर पा रहा है ?

खेल क्षेत्र में भारत का भाग

ब्रिटिश साम्राज्य एक सदी से अधिक तक भारत में रहा. जिसके कारण यहाँ क्रिकेट बहुत पॉपुलर खेल बन कर उभरा. अंग्रेज भारत में अलग अलग हिस्सों में क्रिकेट खेलते थे और ये देख और अनुभव कर यहाँ की जनता ने भी काफी अच्छे से इस खेल को अपनाया लेकिन क्या सिर्फ क्रिकेट को बढ़ावा दे कर हम खेल क्षेत्र में मुकाम हासिल कर सकते है ? तो इसका उत्तर है कि नहीं. क्रिकेट की वजह से कई पॉपुलर स्पोर्ट्स जैसे फूटबाल, हॉकी, कई अन्य खेलों का प्रसार भारत में हो ही नहीं सका. रग्बी, वॉलीवॉल , गोल्फ जैसे कई और खेल है जिसमे भारत का नाम लिस्ट में ऊपर नज़र नहीं आया. क्या इसका कारण यहाँ के युवा है या भारतीय परिवार और उसका माहौल या फिर सरकार की भी कही न कही गलती है ?

देश में हमेशा यह देखने में आता है कि हमारे माता पिता हमें अंग्रेजी सिखाने पर अधिक जोर देते हैं. इसी के साथ स्कूल, कालेज में नौकरी लेते समय इंग्लिश आती है या नहीं ये जरूर पूछा जाता है. अगर हमें अंग्रेजी नहीं आती है तो वहां हम पिछड़ जाते हैं. लेकिन इंग्लिश पर जोर देते समय हम सब ये भूल गए की आज के युवा को क ,ख, ग, घ तक पूरा नहीं आता है. यही हाल खेल क्षेत्र में भी हुआ है. क्रिकेट को हमारे परिवार से लेकर सरकार तक ने आज तक प्रमोट किया है, लेकिन वहीं दूसरे खेलों में भारत पीछे रह गया. क्योकि एक तरफ ना तो सरकार ने इन खेलों पर ठीक से ध्यान और न इन्वेस्ट किया. वहीं दूसरी ओर भारतीय मीडिया का कुछ सहारा नहीं मिला. मीडिया क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर को भगवान की तरह पूजती है. वहीं अन्य खेलों को किसी अछूत व्यक्ति की तरह. इस वजह से क्रिकेट को छोड़कर अन्य खेलों को लेकर युवा सोचता तक नहीं. एक तरफ ओलम्पिक में अमेरिका, चीन, यूके, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया सैकड़ो गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक ले जाती है और वहीं भारत कुछ चुनिंदा पदक ही हासिल कर पाता है.

कुछ लोग कहते हैं कि खेलों में निवेश करने से देश के पैसे की बर्बादी होती है. जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. अगर देखा जाए तो खेल के क्षेत्र में निवेश करना नुकसान नहीं बल्कि देश के लिए अधिक लाभदायक रहता है. जैसे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कवरेज, दूसरे देश के युवा का आकर्षण, विदेशी निवेश, नौकरी मिलना, युवा को क्रिकेट के अलावा अलग खेल में अपना भविष्य बनाने का मौका मिलना. एक राज्य से दुसरे राज्य में प्रतियोगिता बढ़ना जैसे कई अलग उदहारण है.

ये सही समय है जब भारत सरकार नई एजुकेशन पालिसी लेकर आई है इस से उम्मीद है की स्कूल, कालेज में खेल क्षेत्र में राज्य तथा केंद्र मिलकर निवेश कर बच्चो को अलग अलग खेलो में आगे बढ़ने का मौक़ा देगी. जिससे आने वाले समय में भारत खेल क्षेत्र में अपना रैंक ऊपर ले जा सके.