Madhya Pradesh

आखिर क्यों करवाया जाता है बच्चों का मुंडन

कहते हैं कि मां के गर्भ से जन्म लेने के बाद बच्चे के सिर के जो बाल होते हैं, उन्हें हटाने को ही मुंडन संस्कार का नाम दिया गया. मुंडन संस्कार करवाने के पीछे भी कई मान्यताएं और तर्क का भी उल्लेख किया गया है.

हमारे हिंदू धर्म में शास्त्रीय के अनुसार बच्चे का बल, आरोग्य, तेज को बढ़ाने और गर्भवस्था की अशुद्धियों को दूर करने के लिए मुंडन संस्कार एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार बताया गया है.

मुंडन संस्कार करवाने के पीछे पौराणिक मान्यता यह है कि इससे शिशु की बुद्धि पुष्ट होती है, जिससे उसका बौद्धिक विकास सही से होता है. वहीं, इसके अलावा यह माना जाता है कि गर्भ के बालों का विसर्जन करने से बच्चे के पूर्व जन्म के शापों का मोचन हो जाता है.

मुंडन करवाने का वैज्ञानिक कारण

दूसरी ओर, नवजात बच्चे का मुंडन करवाने के पीछे यह भी तर्क दिया जाता है कि जब बच्चे का जन्म होता है तब उसके बालों में कई सारे किटाणु और बैक्टीरिया मौजूद होते हैं और सिर की त्वचा में भी गंदगी काफी होती है, जिसकी सही प्रकार से सफाई करने के लिए ही उन बालों को हटा दिया जाता है.

बच्चे का मुंडन कब होता है?

जान लें कि बच्चे के जन्म लेने के बाद 1 साल से 3 साल या कुल परंपरा के अनुसार 5वें अथवा 7वें साल में मुंडन संस्कार कराए जाने की प्रथा कई सालों से चली आ रही है. वहीं, इसके अलावा कुछ लोग शिशु के सवा माह पूर्ण हो जाने के बाद ही धार्मिक स्थल पर लेकर जाते हैं और तब मुंडन करवा देते हैं.

तो दोस्तों, आप भी अपने बच्चे का सही विकास चाहते हैं तो मुंडन संस्कार करवाना ना भूलें.