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रावण का हर बार हम दहन करते हैं लेकिन जानिये कुछ ऐसी बातें जिससे आप चौंक जायेंगे

आखिर क्यों हर बार रावण को जलाया जाता है। इस संसार में ना जाने कितने रावण है जो हर दिन जनता को छलते हैं और आज वो खुले घूम रहे हैं और हम उस रावण को जलाते हैं जिसे उसके कर्मों का फल उसी जन्म में मिल गया था। हम शुरू से ही रावण के विषय में बुराइयां ही सुनते आए हैं इसको हमेशा अधर्मी और शैतान का ही दर्जा दिया गया है लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि रावण एक ऐसा व्यक्ति था जिसको इतना ज्ञान था कि उसके ज्ञान के आगे कोई भी देवता उसका मुकाबला नहीं कर सकता था सारे देवता उसके आगे नतमस्तक हो जाते थे बेशक से रावण की छवि अधर्मी है परंतु इन सबके बावजूद भी रावण ने ऐसे बहुत से उदाहरण सबके सामने दिए हैं जिससे इस बात की जानकारी पता लगती है कि वह वास्तव में सबसे बड़ा ज्ञानी पुरुष था।

वेद और संस्कृत का ज्ञाता


आपको इस जानकारी से वाकिफ करा दे कि रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था और वह सामवेद में निपुण था उसने शिव तांडव युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की थी सामवेद के अतिरिक्त उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था उसका वेदों को पढ़ने का तरीका भी बहुत ही अलग था।

आयुर्वेद का ज्ञान ही था रावण
रावण आयुर्वेद में भी बहुत निपुण था इसने आयुर्वेद में भी काफी योगदान दिया था अर्क प्रकाश नाम की एक किताब भी रावण द्वारा लिखी गई थी जिसके अंदर आयुर्वेद से जुड़े हुए सभी जानकारियां मौजूद थी रावण ऐसे चावल का निर्माण करना जानता था जिसके अंदर पर्याप्त मात्रा में विटामिन उपलब्ध हो वह सीता माता को इन्हीं चावलों को देता था।

कविताएं लिखता था रावण
रावण मात्र एक अच्छा योद्धा नहीं था बल्कि उसको कविताओं और श्लोकों की रचनाएं भी आती थी शिव तांडव इन्हीं सब रचनाओं में से एक है रावण ने भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए एक रचना “मैं कब खुश होऊंगा” लिखी थी जिस रचना से भगवान शिव जी अति प्रसन्न हुए थे और रावण को इसके लिए वरदान भी दिया था।

संगीत का ज्ञानी था रावण
रावण संगीत का भी बहुत ज्यादा शौकीन था रुद्र वीणा बजाने में रावण का मुकाबला कोई भी नहीं कर सकता था जब भी रावण दुखी या परेशान रहता था तो वह रुद्रवीणा बजाया करता था रावण ने वायलन का भी निर्माण किया था जिसको रावणहथा के नाम से जाना जाता है आज के समय में भी यह राजस्थान में बजाया जाता है।

बाल चिकित्सा और स्त्री रोग विज्ञान में भी योगदान
रावण आयुर्वेद का बहुत ही अच्छा ज्ञानी था इसने स्त्री रोग विज्ञान और बाल चिकित्सा के ऊपर भी कई पुस्तकें लिखी थी इन पुस्तकों में 100 से अधिक बीमारियों के इलाज के बारे में जानकारियां दी गई थी इस पुस्तक की रचना उसने अपनी पत्नी मंदोदरी के कहने पर किया था।

राम की युद्ध में की सहायता
जब भगवान राम जी समुद्र के ऊपर पुल बनाना चाहते थे तो पुल बनाने से पहले यज्ञ करना पड़ता था यज्ञ तभी सफल माना जाता जब भगवान राम जी के साथ माता सीता बैठी हो राम के इस यज्ञ को सफल बनाने के लिए रावण स्वयं माता सीता को अपने साथ लेकर आया था यज्ञ की समाप्ति के पश्चात राम ने रावण का आशीर्वाद मांगा तो रावण ने राम जी को विजयी भव: का आशीर्वाद दिया था।

रावण था ज्ञान का सागर
जब राम जी और रावण के बीच युद्ध हुआ तब रावण को हार का सामना करना पड़ा था जब रावण अपनी आखिरी सांसे ले रहा था तब भगवान राम ने लक्ष्मण को रावण से ज्ञान प्राप्त करने के लिए कहा था तब लक्ष्मण रावण के सिर के पास बैठ गए थे रावण ने लक्ष्मण से कहा कि अगर आपको अपने गुरु से ज्ञान प्राप्त करना है तो हमेशा उसके चरणों में बैठना चाहिए यही परंपरा आज तक निभाई जाती है।