प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी लेकर किराये पर दिए जा रहे हैं आवास
भोपाल: भोपाल विकास प्राधिकरण इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। इस बार बीएड के अधिकारियों पर सांठगांठ कर अफॉर्डेबल योजना के आवास मकान मालिकों बेचने के आरोप लगे हैं। जबकि यह योजना आवासहीनों के लिए थी। अब इस पूरे मामले की शिकायत भोपाल संभागायुक्त व बीडीए से की गई है। शिकायतकर्ता राशिद नूर खान ने बीडीए की घरौंदा बर्रई योजना की शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि यहां 25 से 30 फीसदी मकान अवैध रूप से बेचे दिए गए हैं। इस वजह से सैंकड़ों आवासहीन परिवार मकान लेने से वंचित रह गए हैं। राशिद नूर ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने की मांग की है।
सरकार को धोखा देकर ली ढाई लाख की सब्सिडी
अफॉर्डेबल योजना के तहत मकान खरीदने पर 2 लाख 67 हजार रुपए की सब्सिडी मिलती है। शिकायत में कहा गया है कि घरौंदा बर्रई योजना के तहत भी मकान खरीदने वालों को यह सब्सिडी मिली है। यह सब्सिडी खुद को आवासहीन बताकर मकान खरीदने वाले सम्पन्न लोगों ने भी ले ली है। बताया जाता है कि यह राशि सांठगांठ से मकान दिलाने वाले अधिकारियों के साथ बांटी गई है।
मकान मालिकों ने किराये से दिए मकान
शिकायत में राशिद नूर खान ने संभागायुक्त व बीडीए के सीईओ को बताया कि बर्रई योजना के तहत बेचे गए मकानों में मूल मकान मालिकों की बजाए किरायेदार रह रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बहुत बड़े स्तर पर अवैध रूप से मकानों की खरीद-फरोख्त की गई हैं। साथ ही शिकायत कर्ता राशिद नूर ने भौतिक सत्यापन स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग की है।
बीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ खेल
इस पूरे मामले में बीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि बीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा करना संभव नहीं है। इस पूरी लापरवाही के लिए सीधे तौर पर बीडीए के अधिकारी जिम्मेदार हैं। मकान बेचते समय दस्तावेजों की ठीक से जांच नहीं की और मकान बेच दिए गए हैं। इतना ही नहीं, कई लोगों ने अपने रिश्तेदार, दोस्त और परिवार वालों के नाम पर आवास खरीद लिए हैं और खुद रहने लगे हैं। इनमें से कुछ ने सरकार व बीडीए से जानकारी छुपाकर मकान खरीदे और अब उन्हें किराए से दे रहे हैं।
दानपात्र लिखकर कर रहे हैं कमाई
अफॉर्डेबल योजना के तहत खरीदे गए मकान 15 साल तक बेच नहीं सकते। इसका तोड़ अवैध रूप से मकान खरीदने वालों ने निकाल लिया है। ऐसे लोग दानपत्र लिखकर 5 और 10 लाख के मकानों को क्रमश: 7 और 15 लाख में बेच रहे हैं। सरकार से आवासहीन बनकर ढाई लाख रुपए की सब्सिडी लेने के बाद यह किया जा रहा है। अफोर्डेबल योजना आवासहीनों के लिए है। पूर्व से मकान मालिक को उक्त योजना के तहत मकान नहीं बेचे जा सकते। यदि बेचे गए हैं तो उक्त आवंटन जांच के बाद निरस्त करना होगा। बीडीए चाहे तो मकान की कीमत भी बीडीए को धोखा देने के आरोप में राजसात कर सकता है।