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रक्षाबंधन के दिन ही खुलता है भगवान विष्णु का यह मंदिर

हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन का पर्व. जी हां, रक्षाबंधन को भाई-बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनें साल भर इस दिन का इंतजार करती हैं. इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 03 अगस्त को मनाया जा रहा है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, यह रक्षा का पर्व होता है. यही वजह है कि इस दिन जब बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं तो बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देता है. जिस तरह से बहनें पूरे साल इस एक दिन का इंतजार करती हैं, ठीक उसी तरह से देवभूमि उत्तराखंड में स्थित भगवान विष्णु के एक प्राचीन मंदिर के खुलने का भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं और यह मंदिर रक्षाबंधन पर सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है.

उत्तराखंड के बदरीनाथ क्षेत्र के उर्गम घाटी में स्थित भगवान विष्णु के इस प्राचीन मंदिर का नाम श्री वंशीनारायण मंदिर है. यह मंदिर साल के 364 दिन बंद रहता है और रक्षाबंधन पर सिर्फ एक दिन के लिए इस मंदिर के कपाट खुलते हैं. इस दिन भगवान की पूजा -अर्चना करने के बाद शाम को सूरज ढलने से पहले ही मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. चलिए जानते हैं आखिर यह मंदिर साल में सिर्फ रक्षाबंधन पर ही क्यों खुलता है और क्या है इससे जुड़ी मान्यता.

मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवऋषि नारद यहां साल के 364 दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, इसलिए इस मंदिर के कपाट उस दौरान आम लोगों के लिए बंद रहते हैं. इस मंदिर में सिर्फ एक दिन मनुष्यों को पूजा करने का अधिकार मिलता है, इसलिए रक्षाबंधन के दिन इस मंदिर के कपाट खुलते हैं.

एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया था कि वे उनके द्वारपाल बनें. राजा बलि के आग्रह को स्वीकार करते हुए श्रीहरि पाताल लोक चले गए. कई दिनों तक भगवान विष्णु के दर्शन न होने पर माता लक्ष्मी काफी चिंतित हुई और नारद जी से उन्होंने विष्णु जी के बारे में पूछा. माता के पूछने पर नारद ने बताया कि वे पाताल लोक में राजा बलि के द्वारपाल बने हुए हैं.