काला धन वापसी का नाटक किया था सरकार ने, आज भी स्विस बैंक में जमा हो रहा है काला धन
अवैध रूप से कमाए गए पैसों को स्विस बैंकों में रखने का भारत में पुराना प्रचलन है. इन पैसों को आमतौर पर ब्लैक मनी या कालाधन कहते हैं. देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 का चुनाव कालाधन के मुद्दे पर लड़ा था और 100 दिनों में इसे वापस लाने का वादा किया था. हालांकि, मोदी के 7 साल के कार्यकाल में कालाधन में कमी होने के बजाए जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों का सकल कोष 2019 के अंत में 89.9 करोड स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था. यह 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया. इससे पहले लगातार दो साल इसमें गिरावट आई थी. साल 2020 का आंकड़ा पिछले 13 साल का सर्वाधिक है. यह हैरान करने वाली बात है कि कोरोना काल ने जब सभी तरह के उद्योग और व्यवसाय ठप पड़े थे, तब भारतीयों ने ब्लैक मनी जमा कराने में 13 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया.
स्विस बैंकों में जमा काला धन में बढ़ोतरी की खबर आने के बाद मोदी सरकार के दावों और मंशा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स इस बात को लेकर सवाल कर रहे हैं की जब देश की जीडीपी माइनस में चली गयी थी तब कालेधन में बढ़ोतरी कैसे हुई? कांग्रेस नेता वैभव वालिया ने ट्वीट किया, ‘जो लोग स्विस बैंक में जमा काला धन वापस लाकर भारत में लोगों को पंद्रह लाख बाँटने वाले थे उनके राज में काला धन बढ़ गया. झूठे वादों वाली भाजपा आपको बेवक़ूफ़ बनाकर वोट तो हथिया लेती है परंतु देश चलाने के लिए जैसे क़ाबिल लोग चाहिए वो उनके पास है ही नही. दुर्भाग्यवश देश पीछे जा रहा है.’