अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष को दफ्तर में ताला लगाकर बैठने से रोका गया
भोपाल। मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार को उनके ही दफ्तर में ताला लगाकर बैठने से रोका गया। सागर के पूर्व सांसद और अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. आनंद अहिरवार को उनके ऑफिस में ताला लगाकर बैठने से रोक दिया गया है। सुबह दफ्तर पहुंचने पर आयोग के सेक्रेटरी ने कहा कि आपको ऑफिस में नहीं बिठाने को कहा गया है।
अध्यक्ष ने आयुक्त और प्रमुख सचिव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाया है। अध्यक्ष आनंद अहिरवार ने कहा कि भाजपा की सरकार और उनका ये तंत्र घटिया हरकत कर रहा है।
आनंद अहिरवार ने कहा कि 15 जून को गुना में दलित परिवार के साथ हुए अत्याचार से प्रदेश पूरे देश में शर्मसार हुआ है। इस अत्याचार की रिपोर्ट जब मैंने सूचना आयोग के माध्यम से ऊपर भेजना चाहता हूं तो मेरे कमरे में ताला लगा दिया गया। हम वो रिपोर्ट आयोग को भेजना चाह रहे थे, लेकिन वह नहीं चाहते कि ये रिपोर्ट आगे भेजी जाए और सत्य उजागर हो। मैंने उस परिवार, वहां के समाजसेवी और प्रशासन से मिलकर पूरी रिपोर्ट तैयार की है।
आयोग के अध्यक्ष ने बताया घटनाक्रम
‘देखिए मैं अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष हूं। उस नाते मैं जब आज ऑफिस आया तो ताला लगा हुआ था। आयोग के सेक्रेटरी ने ताला खोलने से मना किया और कहा कि आपको बैठने से मना किया गया है। मैंने पूछा कि आपके पास कोई आदेश है या मौखिक कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदेश नहीं है, शासन से बात कर लीजिए। मैंने आयुक्त को फोन लगाया, तीन बार किया, लेकिन घंटी जाने के बाद भी उन्होंने फोन नहीं अटेंड किया। मैंने एक पत्र लिखा और उनके मोबाइल नंबर पर वाट्सएप किया। प्रिंसिपल सेक्रेटरी मैडम का लैंडलाइन पर फोन किया, लेकिन वह लगा नहीं।’
“आयोग के दफ्तर में इस तरह से अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के साथ सरकार और सरकार का तंत्र इस तरह का दुर्व्यवहार करे, ऐसी घिनौनी हरकत करे। इससे घटिया काम कुछ हो नहीं सकता है।”
‘तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा मेरी नियुक्ति आयोग के अध्यक्ष पर की गई थी। उनका मुझे चुनने के पीछे कारण था। उन्हें मालूम है कि ये व्यक्ति संवैधानिक दायरे में गरिमापूर्ण और मर्यादित काम करेगा। मैं अनुसूचित जाति के हितों के लिए मैं जो काम कर रहा था, लेकिन इस बीच सरकार बदल गई। उन्होंने मुझे हटा दिया, मैं इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट गया, जहां से मुझे स्टे दिया गया। सरकार डबल बेंच चला गया, लेकिन वहां भी यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। उसके बाद मैं गुना मामले की जांच करने गया था।’