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पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन त्रावणकोर का पूर्व शाही परिवार ही संभालेगा

कोच्चि। केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन और उसकी संपत्तियों का प्रबंधन त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था के तौर पर यह व्यवस्था देते हुए कहा है कि तिरुवनंतपुरम के जिला जज मंदिर मामलों की कमेटी के हेड होंगे। नई कमेटी बनने तक यह व्यवस्था लागू रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी के सभी सदस्य हिंदू होने चाहिए।


त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के सदस्यों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हुआ है कि भगवान पद्मनाभ से हमारे परिवार के संबंध कितने अहम हैं। हमें पूरे फैसले की कॉपी का इंतजार है।
8 साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई हुई
केरल हाईकोर्ट ने 2011 के फैसले में राज्य सरकार को पद्मनाभस्वामी मंदिर की तमाम संपत्तियों और मैनेजमेंट पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया था। इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से ज्यादा समय तक सुनवाई हुई। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को फैसले में कहा कि त्रावणकोर शाही परिवार के आखिरी राजा का निधन होने का मतलब ये नहीं है कि मंदिर का मैनेजमेंट सरकार के हाथ में चला जाएगा।
उत्राटम तिरुनाल के वंशज ट्रस्ट बनाकर मंदिर का संचालन कर रहे हैं
पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। 1750 में मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी ‘पद्मनाभ दास’ बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति उन्हें सौंप दी। 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने केरल में राज किया। 2013 में उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के निधन के बाद उनका परिवार और उनके प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।