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सुशांत के लिये रानी दी ने लिखी कविता,नम हुई आँखे

हर बहन के लिये राखी का त्यौहार खास होता है, जिसका उसे पूरे साल इंतज़ार होता है और जब उसका भाई जिसको उसने बच्चे की तरह पाला हो दूर हो जाये तो उस दर्द के साथ रहना बहुत कठिन हो जाता है. ऐसा ही सुशांत सिंह राजपूत की बहनें महसूस कर रहीं हैं उनका प्यारा लाडला भाई आज उनके साथ नहीं है. सुशांत की बड़ी बहन ने सुशांत को याद करते हुये एक कविता लिखी है.

आज मेरा दिन है। 

आज तुम्हारा दिन है। 

आज हमारा दिन है।

 
आज राखी है। 


पैंतीस साल के बाद ये पहला अवसर है जब पूजा की थाल सजी है। आरती का दिया भी जल रहा है। हल्दी-चंदन का टीका भी है। मिठाई भी है। राखी भी है। 
बस वो चेहरा नहीं है जिसकी आरती उतार सकूँ। वो ललाट नहीं है जिसपर टीका सजा सकूँ। वो कलाई नहीं जिस पर राखी बांध सकूँ। वो मुँह नहीं जिसे मीठा कर सकूँ। वो माथा नहीं जिसे चूम सकूँ। वो भाई नहीं जिसे गले लगा सकूँ। 

वर्षों पहले जब तुम जब आए थे तो जीवन जगमग हो उठा था। जब थे तो उजाला ही उजाला था। अब जब तुम नहीं हो तो मुझे समझ नहीं आता कि क्या करूँ? 
तुम्हारे बग़ैर मुझे जीना नहीं आता। कभी सोचा नहीं कि ऐसा भी होगा। ये दिन होगा पर तुम नहीं होगे।


ढेर सारी चीजें हमने साथ-साथ सीखी। तुम्हारे बिना रहना मैं अकेले कैसे सीखूँ? तुम्हीं कहो। 

हमेशा तुम्हारी 
रानी दी

सुशांत के सबसे बड़े बहनोई ओ.पी. सिंह बताया कि अपनी शादी के मौके पर सुशांत से पहली मुलाकात 24 मई 1995 को हुई थी.डार्क शेड्स गोगल पहने हुए और गले में रुमाल डाले हुए, वो ‘तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त’ गाने पर मंच पर जबरदस्त परफॉर्मेंस दे रहे थे और तब वो महज 10 साल के थे.बचपन से ही सुशांत बहुत प्रतिभाशाली थे. साल 2002 में अपनी मां के निधन के वक्त सुशांत की जो हालत हुई थी,हफ्तों तक उनकी मुस्कराहट गायब थी. तबसे उनकी बड़ी बहन ने माँ की तरह सुशांत को लाड़ किया.

फिलहाल, सुशांत के जाने से उनके जीजा समेत पूरा परिवार बेहद निराश है और सभी लोग चाहते हैं कि इस केस की जांच को सीबीआई को सौंप दिया जाए.