सुमित्रा महाजन : राम कथावाचक से लोकसभा स्पीकर तक पहुँचने वाली इंदौर की ताई
आज पूर्व लोकसभा स्पीकर और इंदौर की ताई कही जाने वाली सुमित्रा महाजन का जन्मदिन है. वैसे तो सुमित्रा महाजन का जन्म महाराष्ट्र के चिपलूण कस्बे में 12 अप्रैल 1943 को. लेकिन शादी उनकी साल 1965 में इंदौर के जयंत महाजन हुई. जिसके बाद ताई यहीं की हो गयीं.
ताई इंदौर से नगर निगम में वरिषठ पार्षद से लेकर शहर की उप-महापौर, केंद्रीय मंत्री और फिर लोकसभा अध्यक्ष के पद तक पहुंची. हालांकि उनके बारे में कम ही लोग जानते हैं कि वो मूल रूप से एक राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं थीं, बल्कि वो एक रामकथा वाचिका थीं.
रामकथा वाचिका के तौर पर सार्वजनिक जीवन में आईं
दरअसल, शादी के बाद सुमित्रा इंदौर आ गईं थी वहीं से उन्होंने एमए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. इसी दौरान वो रामायण पर रोचक अंदाज में प्रवचन करने वाली इंदौर की मैना ताई गोखले के संपर्क में आईं और साथ में रहने लगीं. जब मैना ताई बीमार रहने लगीं तो उनकी जगह प्रवचन का काम सुमित्रा महाजन ने संभाल लिया. यह पहला मौका था जब वो सार्वजनिक जीवन में आईं. इसके बाद वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति और महाराष्ट्रीय महिलाओं के संगठन भगिनी मंडल में सक्रिय हुईं.
1982 में राजनीति में रखा कदम
ताई ने राजनीति में कदम रखा साल 1982 में. जब इंदौर नगर निगम चुनाव में भाजपा ने बहुमत हासिल किया और उन्हें वरिष्ठ पार्षद मनोनीत किया गया. इसके बाद साल 1984 में उन्हें उप-महापौर बनाया गया. इसके बाद भाजपा ने उन्हें साल 1985 में इंदौर क्रमांक तीन से विधानसभा का चुनाव लड़ाया. लेकिन वो जीत नहीं पाईं. उन्हें कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व. महेश जोशी ने हरा दिया. इस चुनावी हार के बाद, सुमित्रा एक बार फिर अपने पुराने काम प्रवचन पर लौट आईं.
इंदौर से लगातार 8 बार रहीं सांसद
नियति को शायद कुछ आर ही मंजूर था. सब सोच रहे थे कि विधानसभा चुनावों में पराजय के बाद ताई राजनीति में लौट कर नहीं आएँगी. लेकिन सभी को गलत साबित करते हुए वो राजनीति में आईं और यहीं की होकर रह गयीं.
साल 1989 के आम चुनाव में पार्टी ने इंदौर के तमाम दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया. उन्होंने इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता और देश के गृह मंत्री रह चुके प्रकाश चंद्र सेठी को हराया. तब से लेकर लगातार आठ बार सुमित्रा महाजन ने इंदौर क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया.
2019 में चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया
इस दौरान वे 2002-04 तक अटल बिहारी सरकार में राज्यमंत्री भी रहीं और जब साल 2014 में नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आए तो उनके कार्यकाल में सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष बनीं. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उम्र का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. सुमित्रा महाजन देश की पहली महिला सांसद हैं जो अपराजित रहते हुए लगातार आठ बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं हैं.