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यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सेंटर में शामिल हुई मध्यप्रदेश की छह धरोहर, CM मोहन यादव ने दी प्रदेशवासियों को बधाई…

भोपाल : यूनेस्को के इस निर्णय के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अपनी खुशी प्रदेशवासियों से साझा की। इस दौरान उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर इसकी जानकारी दी। वहीं जानकारी के अनुसार, इस बार भी मध्य प्रदेश से कई महत्वपूर्ण स्थलों को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार, नई सूची में शामिल किए गए स्थलों में ग्वालियर किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल (क्रमांकित नामांकन), खूनी भंडारा, बुरहानपुर, और रामनगर, मंडला का गोड स्मारक शामिल हैं।

दरअसल यह संपत्तियां मध्य प्रदेश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है:

ग्वालियर किला: ग्वालियर किला भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। इस किले की विशेषता उसके भव्य आर्किटेक्चर, शैलीग्राम स्तूप, गुज़री मिनारें, और सम्राट विक्रमादित्य की खुदाई के अनमोल विश्वसनीय खजाने में है।

धमनार का ऐतिहासिक समूह: धमनार का ऐतिहासिक समूह मध्य प्रदेश के सम्राटों की संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है। यहां के प्राचीन शिलालेख, भव्य मंदिर, और अर्थात्मक शिल्प का परिचय भारतीय साहित्य और कला के प्रेमियों को खोजने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर: यह मंदिर भारतीय स्थापत्यकला का अद्वितीय उदाहरण है। इसका निर्माण सम्राट भोज के शासनकाल में हुआ था और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। दरअसल यहां पर्यटक भारी मात्रा में पहुँचते है। जिससे यह एक महत्वपूर्ण स्थान बना है।

चंबल घाटी के रॉक कला स्थल: चंबल घाटी के रॉक कला स्थल में प्राकृतिक चट्टानों पर बनी खास कला मध्यप्रदेश की संस्कृति को दर्शाती है। यहाँ के शैलीग्राम पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।

खूनी भंडारा, बुरहानपुर: इस स्थल का इतिहास अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ के ऐतिहासिक घटनाक्रमों का साक्षी हैं जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं।

रामनगर, मंडला का गोड स्मारक: रामनगर के गोड स्मारक में एक महत्वपूर्ण धार्मिक भवन है जो सम्राट अशोक के शासनकाल में निर्मित हुआ था। यहाँ के प्राचीन स्थल एवं स्मृति स्थल प्राचीन भारतीय समाज और संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

दरअसल यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सूची में मध्यप्रदेश की इन संपत्तियों को शामिल होने से उन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलेगी। इससे न केवल मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा होगी, बल्कि इन स्थलों के पर्यटन उद्योग में भी वृद्धि होगी। स्थानीय विकास में भी इन संपत्तियों का सहयोग मिलेगा और इनकी संरक्षण और विकास की दिशा में कदम उठाने में सरकार को मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दी प्रदेशवासियों को बधाई:

वहीं मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे सम्माननीय माना है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है जो मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान देगा। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों के साथ इस खुशी को साझा करते हुए सभी को बधाई दी और लिखा की “यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सेंटर द्वारा भारत की अस्थाई सूची में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध मध्यप्रदेश की 6 संपत्तियों का जोड़ा जाना, हमारे लिए गर्व और सम्मान का विषय है।”