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सीताराम येचुरी के शरीर को AIIMS को किया गया दान, जानिए डोनेट के बाद बॉडी का क्या होता है?

नई दिल्ली : गुरुवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी का निधन हो गया। वहीं इसके बाद उनके परिवार ने एक प्रेरणादायक निर्णय लेते हुए उनके शव को एम्स (AIIMS) को दान करने का फैसला लिया है। दरअसल यह निर्णय न केवल मेडिकल छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक अमूल्य योगदान है, बल्कि इससे समाज में भी एक प्रेरणादायक संदेश पहुंचा है।

दरअसल AIIMS अस्पताल ने सीताराम येचुरी के शव के दान की पुष्टि की है। वहीं इसे चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान भी बताया है। हालांकि मृत्यु के बाद शरीर दान की प्रक्रिया के बारे में और इसके महत्व के बारे में भी बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती है। इसीलिए आइए आज इस खबर में हम जानते हैं कि जब किसी का शव दान कर दिया जाता है, तो उसके साथ क्या-क्या होता है और यह समाज को किस प्रकार से लाभ पहुंचाता है।

जानिए डोनेट के बाद बॉडी का क्या होता है?

जानकारी दे दें कि शरीर दान के बाद की प्रक्रिया में सबसे पहले बॉडी को संरक्षित करने की विधि अपनाई जाती है। बता दें कि इसके लिए फॉर्मालिन नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो शव में उपस्थित बैक्टीरिया और कीटाणुओं को खत्म कर देता है। दरअसल यह केमिकल बॉडी को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सहायक होता है, जिससे वह जल्दी खराब नहीं होती।

जानिए दान किए गए शवों का क्या उपयोग होता है?

दरअसल शरीर दान का सबसे मुख्य उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान ही होता है। जानकारी दे दें कि मेडिकल छात्र इन दान किए गए शवों का उपयोग करके ही मानव शरीर की संरचना, अंगों और विभिन्न प्रणालियों का अध्ययन करते हैं। ऐसे में यह एक प्रेणादायक निर्णय होता है कि शव को डोनेट कर दिया जाए। दरअसल इससे छात्रों को मानव शरीर की वास्तविक संरचना और उसके कार्यप्रणाली का गहराई से अध्ययन करने का मौका मिलता है।

परिवार को शव लौटाया जाता है या नहीं?

वहीं जब किसी का शरीर दान किया जाता है, तो उसके परिवार को शव वापस नहीं दिया जाता है। यानी दान किए गए शरीर का उपयोग पूरी तरह से चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए ही किया जाता है। बता दें कि उपयोग के बाद और शव के खराब होने पर, अस्पताल द्वारा अंतिम संस्कार किया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, परिवार को शव की अस्थियां भी लौटाई जाती हैं, ताकि वे अपने धार्मिक परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार पूर्ण कर सकें।