BhopalMadhya Pradesh

शिवराज सिंह चौहान ने ऋण माफ़ी पर बोला सफेद झूठ : कमलनाथ

भोपाल: मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को आरोप लगाया है कि उनके नेतृत्व वाली प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों की फसल ऋण माफी पर पहले दिन से ही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए ज्योतिरदित्य सिंधिया झूठ बोलते रहे हैं.

कमलनाथ ने यहां जारी अपने एक बयान में कहा, ‘‘इस झूठ की राजनीति का पर्दाफाश स्वयं शिवराज सरकार ने कल (सोमवार को) विधानसभा में कर दिया है और स्वीकार किया कि प्रदेश में प्रथम और द्वितीय चरण में कांग्रेस की सरकार ने 51 जिलों में 26.95 लाख किसानों का 11,600 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण माफ किया है.”

शिवराज की गुमराह करने की राजनीती

कमलनाथ ने कहा, ‘‘प्रदेश की जनता से सफेद झूठ बोलने और गुमराह करने की घृणित राजनीति के लिए चौहान और सिंधिया को तत्काल प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए.” कमलनाथ ने कहा कि ग्वालियर दौरे के दौरान मैंने मुख्यमंत्री चौहान को किसानों की ऋण माफी के मुद्दे पर खुली बहस करने की चुनौती दी थी. वे इस मुद्दे पर खुली बहस करते, उसके पहले ही उनकी सरकार ने विधानसभा में स्वीकार कर लिया कि कांग्रेस सरकार ने 26.95 लाख किसानों का ऋण माफ किया था और स्वीकृति की प्रकिया में शेष 5.90 लाख किसानों की संख्या को भी स्वीकार किया है, जिसकी स्वीकृति मेरी सरकार के समय की जा रही थी.

शिवराज की झूठ की राजनीती

कमलनाथ ने कहा कि सदन के पटल पर जो सच्चाई भाजपा सरकार ने स्वीकार की है , इससे चौहान व भाजपा की झूठ की राजनीति का पर्दाफाश हो चुका है और मेरे द्वारा पहले दिन से ही किसान ऋण माफी की जो संख्या और सूची दी जा रही थी, वह अंततः सच साबित हुई है.


कमलनाथ ने कहा कि इस सच्चाई को स्वीकार करने के बाद शिवराज सरकार को शेष किसानों की ऋण माफी की प्रक्रिया को शीघ्र शुरू करना चाहिये. उन्होंने कहा कि विधानसभा में जो बहाना ऋण माफी योजना की समीक्षा का बनाया गया, वह यह बताता है कि भाजपा और चौहान किसानों के विरोधी है.


कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने ऋण माफी की जो योजना बनाई थी, वह पूर्णत: विचार विमर्श के बाद ही तैयार की गई थी, जिसकी समीक्षा करने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है. शिवराज सरकार कोई समय-सीमा भी बताने को तैयार नहीं है, इससे यह स्पष्ट होता है कि वे किसानों की कर्ज माफी करना ही नहीं चाहते.