शिवराज सरकार ने नहीं किया किसानों को 2 साल बाद भी भावांतर राशि का भुगतान
भोपाल: मौसम की मार झेल रहे प्रदेश के किसानों को 2 साल बाद भी भावांतर राशि का भुगतान नहीं किया गया है. मुसीबत के इस दौर में यदि किसानों को भावांतर की राशि का भुगतान भी कर दिया जाता है तो यह किसानों के लिए संजीवनी साबित होगा. भावांतर राशि का भुगतान नहीं होने पर जब कृषि मंत्री कमल पटेल से पूछा तो उन्होंने कहा कि भाजपा की पिछली सरकार ने किसानों के लिए भावांतर योजना शुरू की थी. ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल सके लेकिन मध्यप्रदेश में कंग्रेस की सरकार आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भावांतर की राशि का भुगतान नहीं किया. उन्होंने कहा कि हमनें भावांतर राशि के भुगतान का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है. जल्द ही किसानों को भावांतर की राशि का भुगतान भी कर दिया जाएगा. भारतीय किसान संघ भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा चुका है. किसान संघ ने सरकार से मांग की है कि 2018 की सोयाबीन फसल का 500 रुपए व 2019 का गेहूं का 160 रुपए प्रति क्विंटल का भावांतर राशि का भुगतान किया जाए.
जब मुद्दा बना तब याद आये शिवराज सरकार को अपने वादे
सरकार पर लगे बीमा कंपनियों से सांठगांठ के आरोप के बाद सरकार अब नई फसल बीमा नीति बनाने जा रही है. जिसके तहत किसानों की अब न्यूनतम 2 हजार रुपये का बीमा मिलेगा. वर्तमान में यह देखने मे आया है कि किसानों को 4 रुपये, 6 रुपये और 60 रुपये तक का बीमा मिला है. जो कि किसानों की भावना के साथ खिलवाड़ है. कृषि मंत्री पटेल ने कहा कि कहीं अपवाद स्वरूप यह बीमा दिया गया है, लेकिन अब सरकार यह नियम लेकर आने वाली है कि किसानों को कम से कम 2 हजार रुपये का बीमा अवश्य मिलेगा.