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मोदी सरकार के सात साल और सात सबसे बड़ी गलतियां जिसने किया देश बर्बाद

केंद्र की मोदी सरकार के आज सात साल पूरे हो गए हैं. कोरोना संकट के दौर में सात साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री ने जहां मन की बात की वहीं कांग्रेस ने केंद्र द्वारा इन सात सालों में की गयी सात गंभीर गलतियों की सूची जारी किया है. कांग्रेस ने इसमें अर्थव्यवस्था से लेकर बेरोजगारी और कोरोना कुप्रबंधन को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इन सात सालों में हमने क्या खोया और क्या पाया इसका भी उल्लेख किया है.

  1. केंद्र की मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को गर्त व्यवस्था में तब्दील कर दिया. यूपीए सरकार के दौरान जो देश की जीडीपी ग्रोथ 8.1 फीसदी थी वह साल 2019-20 में गिरकर 4.2 फीसदी तक सिमटकर रह गई है.
  2. बेइंतहा बेरोजगारी, बनी महामारी: कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने अपने वादे के अनुसार हर साल 2 करोड़ जॉब नहीं दिया. नए लोगों को जॉब मिलना तो दूर नौकरी पेशा लोग भी बेरोजगार हो गए. कांग्रेस ने पिछले 5 दशकों में शीर्ष स्तर पर पहुंचे बेरोजगारी को महामारी करार दिया है.
  3. कमरतोड़ महंगाई: कांग्रेस पार्टी ने सरकार को पेट्रोल-डीजल समेत खाद्य पदार्थों की महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
  4. किसानों के मसले पर भी केंद्र ने मोदी सरकार को असफल बताया है.
  5. गरीब और मध्यम वर्ग के लिए केंद्र की नीतियों को सरकार ने विफल बताया है. कांग्रेस के मुताबिक यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए थे, जबकि मोदी सरकार ने 7 साल में 3 करोड़ 20 लाख लोगों को मध्यम वर्ग से गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया.
  6. कोरोना संकट काल में हुई लोगों की मौत को कांग्रेस ने केंद्र सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा करार दिया है. ऑक्सीज़न के संकट और रेमडेसिविर इंजेक्शन और वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर मोदी सरकार को घेरा है.
  7. पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर भी केंद्रीय नेतृत्व को असफल करार दिया है. चीन से सीमा विवाद से लेकर उग्रवाद और नक्सलवाद के मसले पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को विफल बताया.

सात सालों में क्या खोया

रणदीप सुरजेवाला ने बताया है कि पिछले सात सालों में हमने क्या खोया है. उन्होंने कहा, ‘7 साल में हमने – लोकतंत्र की गरिमाएं, संवैधानिक संस्थाएं, शासन की मर्यादाएं, प्रधानमंत्री की संवेदनाएं, दर्द बांटने व वचन निभाने की मान्यताएं इंसानियत और मानवता खोई! वैश्विक मान खोया और शासक ने खोया जनता का विश्वास और सम्मान.’