बिहार में यहाँ है सोने का भंडार, मगर आज तक कोई इस दरवाजे को खोल नहीं पाया
दुनियाभर में भारत अपनी पुरानी संस्कृति के लिए जाना जाता है। इसके अलावा देश में कई रहस्यमयी जगहें हैं जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली हैं। इन्हीं में शामिल है बिहार में स्थित एक सोने का भंडार, जहां पर एक रहस्यमयी दरवाजा है, जिसे हजारों कोशिशों के बाद भी आजतक कोई भी खोल नहीं पाया है। इस दरवाजे को कई बार खोलने की कोशिश हुई, लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिली। यह सोने का भंडार बिहार के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल राजगीर में एक गुफा के अंदर स्थित है।
इतिहासकार बताते हैं कि हर्यक वंश की स्थापना करने वाले बिम्बिसार को सोने चांदी बहुत पसंद थे। सोने और चांदी के प्रति लगाव की वजह से वह आभूषणों को जमा करते रहते थे। कहा जाता है कि राजगीर की इस गुफा में बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छिपाकर रखा गया है। इस खजाने को बिम्बिसार की पत्नी ने छिपाया है। लेकिन इस खजाने को आज तक कोई भी नहीं खोज पाया। अंग्रेजों ने भी इस गुफा में जाने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन उनके भी हाथ नाकामी लगी। इस खजाने को ‘सोन भंडार’ कहा जाता है।
जानकारों के मुताबिक, बिम्बिसार की पत्नी ने इस गुफा का निर्माण करवाया था। यह सोन भंडार आज भी दुनियाभर के लिए एक रहस्य है जिसे देखने के लिए देश और विदेश से हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। यहां पर आने वाले पर्यटकों में इस अनसुलझी पहेली को जानने की इच्छा होती है।
प्राचीन समय में मगध की राजधानी राजगीर में ही भगवान बुद्ध ने बिम्बिसार को धर्म के बारे में बताया था। बिहार के प्रसिद्ध स्थलों में शामिल यह स्थान भगवान बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह खजाना पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का है, लेकिन इस बात के अधिक प्रमाण हैं कि यह खजाना हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार का है, क्योंकि इस गुफा से कुछ दूरी पर वह जेल थी जिसमें अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर रखा हुआ था। उस जेल के अवेशष आज भी हैं, इसलिए इस खजाने को बिम्बिसार का ही माना जाता है।
बताया जाता है कि बिम्बिसार की कई रानियां थीं। इनमें से एक रानी बिम्बिसार के बेहद करीब थी जो उनके पसंद का पूरा ख्याल रखा करती थी। जब अजातशत्रु ने अपने पिता को बंदी लिया तो, इस रानी ने ही इस गुफा में राजा के सभी खजानों को छिपाकर रख दिया। सोन भंडार के अंदर जाते ही सबसे पहले खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों का कमरा है। इसके बाद खजाने तक पहुंचने वाला रास्ता है जिसके दरवाजे पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है। आज तक कोई भी इस रहस्यमयी खजाने के दरवाजे को नहीं खोल पाया है। इसलिए यह अभी भी वैज्ञानिकों के लिए भी पहेली बनी हुई है।
इस गुफा के दरवाजे पर रखे पत्थर पर शंख लिप में कुछ लिखा गया है जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ पाया। माना जाता है कि इसमें खजाने के दरवाजे को खोलने के बारे में बताया गया है। अगर इसको पढ़ने में कामयाबी मिल जाती है, तो खजाना तक पहुंचा जा सकता है।
कुछ लोग मानते हैं कि बिम्बिसार के रहस्यमयी खजाने तक वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है जो सोन भंडार गुफा की दूसरी तरफ पहुंचता है। इस खजाने को पाने के लिए अंग्रेजों ने गुफा के दरवाजे को तोप से तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।