हौसले को सलाम: कुली नंबर 36, 45 मर्दों के बीच अकेली कुली हैं संध्या
कटनी: अगर इंसान ठान ले तो कुछ भी कर सकता है ऐसा ही कुछ कर दिखाया है संध्या ने. संध्या का कहना है की भले ही मेरे सपने टूटे हैं, लेकिन हौसले अभी जिंदा है. जिंदगी ने मुझसे मेरा हमसफर छीन लिया, लेकिन अब बच्चों को पढ़ा लिखाकर फौज में अफसर बनाना मेरा सपना है. इसके लिए मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाऊंगी. कुली नंबर 36 हूं और इज्जत का खाती हूं.
महिला कुली को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं लोग, मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली संध्या प्रतिदिन बूढ़ी सास और तीन बच्चों की अच्छी परवरिश का जिम्मा अपने कंधो पर लिए, यात्रियों का बोझ ढो रही है. रेलवे कुली का लाइसेंस अपने नाम बनवाने के बाद बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए साहस और मेहनत के साथ जब वह वजन लेकर प्लेटफॉर्म पर चलती है तो लोग हैरत में पड़ जाते हैं और साथ ही उसके जज्बे को नमन करने को मजबूर भी.