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कांग्रेस की बैठक में सज्जन वर्मा ने दी नसीहत ‘डर के राजनीति नहीं होती, भीतरघातियों पर हो कार्रवाई’

भोपाल : मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आज लोकसभा चुनावों की समीक्षा के लिए बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने चुनावों के दौरान आई दिक़्क़तों और चुनौतियों पर फ़ीडबैक लिया। इस दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि डर के राजनीति नहीं की जा सकती। विधानसभा चुनावों में भीतरघातियों पर पार्टी ने कार्रवाई नहीं की और उसका नतीजा लोकसभा चुनावों में भी भुगतना पड़ा है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि अब ऐसे लोगों पर पार्टी को कड़े फ़ैसले लेने होंगे।

केके मिश्रा ने किया सज्जन वर्मा का समर्थन

बैठक में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व सीएम कमलनाथ सहित कई नेता शामिल हुए। यहाँ  सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि अगर विधानसभा चुनावों में ही भीतरघात करने वालों पर कार्रवाई कर दी जाती तो लोकसभा चुनावों में इसका ख़ामियाज़ा नहीं भुगतना पड़ता। इस बात का जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने समर्थन किया है। एक्स पर उन्होंने लिखा कि ‘सच कहने के लिए मौसम और मुहूर्त की ज़रूरत नहीं होती,इसके लिए ज़िगर,ज़ज़्बा और पारदर्शी चरित्र होना ज़रूरी है। आज भोपाल में पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा  जी ने “पार्टी में छिपे भीतरघातियों” के ख़िलाफ़ निर्भीक होकर सख़्त कार्यवाही किए जाने की जो बात कही है, एक साधारण से कार्यकर्ता के रूप में,मैं उनका 100 % समर्थन करता हूँ।

घरवापसी की कोशिश हुई तो मोर्चा खोलने की चेतावनी

उन्होंने कहा कि ‘मैं तो उनसे भी एक कदम आगे जाकर यह भी कहूँगा कि सिर्फ़ भीतरघाती ही नहीं जिन ग़द्दारों ने लोकसभा चुनाव के चलते पार्टी और विचारधारा को अपने निजी स्वार्थों की ख़ातिर धोखा दिया और भाजपा में प्रवेश ले लिया हैं, यदि वे पुन: घर वापसी का सपना देख रहे होंगे या जो भी नेता (चाहे वह कितने भी बड़े क़द का क्यों न हो) उन ग़द्दारों की उक्त विषयक मदद करेगा मैं वास्तविक पार्टीजनों को साथ लेकर उनके ख़िलाफ़ भी मोर्चा खोलूँगा,पार्टी संगठन सेवा,संस्कारों,संघर्ष का माध्यम हैं, 3 या 5 सितारा हॉटल नहीं? यदि उनके पुन: प्रवेश को लेकर यह कुतर्क दिया जाये कि इनके प्रवेश से पार्टी को लाभ मिलेगा, तो इनके पार्टी में रहते हुए हम 21 सालों से विपक्ष में क्यों हैं? हमारे नेता मान. राहुल गांधी  जी ने अपनी संपन्न यात्राओं में “डरो मत” का उदघोष सिर्फ़ कार्यकर्ताओं के लिए ही नहीं,नेताओं की भी उसमें शुमारी है, उनका साहसिक और प्रेरणादायी संघर्ष फासीवादियों, भीतरघातियों और सभी क़िस्म के ग़द्दारों के ख़िलाफ़ भी है, हम अपनी खुली आँखों से उसमें “मट्ठा” घोलते हुए नहीं देख सकते! संघर्ष को नियति मानकर चलना होगा,जो हमें प्रेरणा भी देता है,लिहाज़ा- डरो मत।