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सचिन पायलट की मां रमा पायलट ने बीजेपी से कर ली है डील, जल्द ही थामेंगे बीजेपी का दामन.

उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है. पायलट ने पिछले कई दिनों से राजस्थान के राजनीतिक हालात को लेकर चुप्पी साध रखी थी, लेकिन मंगलवार को उनके एक ट्वीट ने संकेत दे दिया कि वे जल्दी ही भगवा दल का दामन थाम सकते हैं.

सचिन ने ट्वीट में समर्थन में खड़े होने वाले विधायकों और नेताओं के प्रति आभार जताया.

छोटे से ट्वीट का अंत उन्होंने ‘राम राम सा’ से किया. राजस्थान में ‘राम राम सा’ का प्रयोग अभिवादन के लिए किया जाता है, लेकिन यहां इन शब्दों का प्रयोग कर पायलट ने संकेत दिया कि परदे के पीछे क्या चल रहा है.

राजस्थान: सियासी ड्रामे की फरवरी में लिखी गई स्क्रिप्ट

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के राजनीतिक ड्रामे की पटकथा इस वर्ष फरवरी में उस वक्त लिखी गई थी कि जब सचिन पायलट की मां रमा पायलट नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मिली थीं. मध्यस्थ के जरिए हुई इस मुलाकात में रमा पायलट ने साफ तौर पर कहा था कि भाजपा यदि सचिन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं तो वे पाला बदल लेंगे.

रमा पायलट इस बात को लेकर बेहद नाराज थीं कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सचिन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए हरी झंडी नहीं दिखाई, जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सचिन ने कांग्रेस को पुन: सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. सोनिया ने हालांकि आश्वस्त किया था कि सचिन उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की दोहरी भूमिका निभाते रहेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनाने को लेकर रमा पायलट को कोई आश्वासन नहीं दिया गया था.

रमा पायलट का प्रस्ताव भाजपा को भी आकर्षक लगा. सचिन के पूर्वी राजस्थान में किए गए प्रयासों की वजह से ही भाजपा के हाथों से जीत छिंटक गई थी. यहां सचिन मीणा और गुर्जर समुदाय को कांग्रेस के पक्ष में करने में कामयाब हुए थे. इसी क्षेत्र में भाजपा को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. उसे 49 में से 42 सीटें गंवानी पड़ी थी. रमा पायलट के प्रस्ताव में कई तरह के जोखिम भी छिपे हुए थे.

इसी वजह से नड्डा ने तय किया कि वे आलाकमान से विस्तृत चर्चा करेंगे. चूंकि नड्डा को पार्टी प्रमुख का पदभार संभाले कुछ ही दिन हुए थे, उन्होंने आलाकमान के समक्ष स्थिति को विस्तृत रूप से पेश करने का फैसला लिया. पार्टी की केंद्रीय इकाई में लंबी चर्चा के बाद मामला प्रधानमंत्री के समक्ष पहुंचा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सलाह लेने का फैसला किया गया. इस पूरे घटनाक्रम में काफी समय बीत गया. इसी दौरान देश में 24 मार्च को लॉकडाउन लगा दिया गया, जिससे राजनीातिक गतिविधियां थम गईं.

एसओजी के नोटिस के बाद भाजपा फिर हुई सक्रिय

पिछले दिनों भाजपा नेता उस वक्त फिर हरकत में आ गए, जब राज्य में राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त का मुद्दा गूंजा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले स्पेशल ऑपरेशन गु्रुप (एसओजी) ने सचिन पायलट को नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने पेश होने का निर्देश दिया.

इसके कुछ समय बाद गहलोत के करीबी मंत्रियों और उनके व्यवसायी पुत्र सहित अन्य 10 स्थानों पर आयकर विभाग और ईडी की छापेमारी का सिलसिला शुरू हो गया.

पिछले तीन दिनों के घटनाक्रम से साफ है कि पायलट अब मन बना चुके हैं. यह लड़ाई अब पायलट और गहलोत के बीच की नहीं रह गई है बल्कि भाजपा और गहलोत-गांधी में तब्दील हो गई है. जिसमें सचिन पायलट भी जल्द भाजपा की ओर से शामिल हो जाएंगे.