निर्दयी शिवराज सरकार जिसनें कोरोना योद्धाओं को कुचला
मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल का आज सातवां दिन है. जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अपनी मांगों से पीछे हटने से इनकार कर दिया है, उधर राज्य सरकार ने भी अड़ियल रुख अपना रखा है. कोरोना संकट काल में डॉक्टरों और सरकार के बीच जारी गतिरोध का खामियाजा प्रदेश के हजारों मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. उधर शिवराज सिंह चौहान की सरकार अब डॉक्टर्स के इस आंदोलन को कुचलने में जुट गई है.
दरअसल, अपनी मांगें पूरी न होते देख मध्यप्रदेश के करीब तीन हजार जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इनमें से 28 डॉक्टरों का इस्तीफा गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल ने स्वीकार कर लिया. और अब इन्हें होस्टल खाली करने को विवश किया जा रहा है. खास बात यह है कि इनमें सभी 28 डॉक्टर्स जुडा के सदस्य हैं. इस्तीफा स्वीकार करने से पहले सरकार ने यह नियम निकाली है कि जो भी डॉक्टर बीच में अपनी सीट छोड़ेंगे, उन्हें बांड की राशि भरनी होगी. बांड की राशि 10 से 30 लाख रुपये के बीच है.
गांधी मेडिकल प्रबंधन के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बॉन्ड की राशि भरने और होस्टल खाली करने का निर्देश डॉक्टरों को मजबूर करने का हथकंडा है. सरकार को पता है कि शहर में इनके रहने का ठिकाना नहीं है, बॉन्ड भरने के पैसे नहीं हैं, ऐसे में हड़ताल रोकने को मजबूर होंगे ही. उधर जिन 28 डॉक्टरों को हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया है उन्होंने कुछ समय की मोहलत मांगी है.