इंदौर नगर निगम के 85 वाड़ो का आरक्षण रद्द हाईकोर्ट ने घोषित किया अवैध नए सिरे से शुरू करना होगा आरक्षण
इंदौर नगर निगम चुनावों के लिए किए गए 85 वार्डों के आरक्षण को इंदौर हाईकोर्ट ने अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया है। इसके चलते अब इन सभी वार्डों का आरक्षण नए सिरे से होगा। सरकार ने इंदौर नगर निगम चुनावों के लिए एससी-एसटी के वार्ड आरक्षण के लिए रोटेशन प्रणाली को नहीं अपनाया था। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने सोमवार को याचिकाकर्ता कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जयेश गुरनानी की याचिका पर सुनवाई के बाद उक्त फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता गुरनानी ने खुलासा फर्स्ट से चर्चा में बताया कि सरकार ने नगर निगम के 85 वार्डों में से एससी-एसटी के लिए आरक्षित वार्डों में आरक्षण को लेकर रोटेशन प्रिंसिपल को फॉलो नहीं किया और 2014 के आरक्षण के अनुसार की इस बार भी वार्ड आरक्षण कर दिया, जो कि पूरी तरह गलत है। हालांकि सरकार ने मिहला, पुरुष व ओबीसी वर्ग के वार्ड के लिए आरक्षण को अपनाया, लेकिन एससी-एसटी के वार्ड आरक्षण में मनमानी की। हमने इसका विरोध करते हुए याचिका लगाई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट की उस रूलिंग का भी हवाला दिया था जिसमें शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि आप एक ही सीट को हमेशा के लिए किसी वर्ग विशेष के लिए आरक्षित नहीं कर सकते।फैसले में जज ने यह कहाइंदौर हाईकोर्ट की सिंगल बैंच में सुनवाई के बाद अपने फैसले में न्यायाधीश सुबोध अभ्यंकर ने याचिकाकर्ता की आपत्ति पर सहमति जताते हुए आरक्षण को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया। न्यायाधीश अभ्यंकर ने कहा कि सरकार इस तरह से किसी भी वार्ड का वर्ग विशेष के लिए आरक्षण कर सामान्य व अन्य वर्ग के उम्मीदवारों के अधिकारों को खत्म नहीं कर सकती। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने पैरवी की।