रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी रेडीमेड गारमेंट्स पर, चौकाने वाले आकड़े आये सामने
भोपाल: कपड़ों की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर अब रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री पर पड़ने वाला है. कपड़ा कारोबारी यह आशंका जाहिर कर रहे हैं कि रेडीमेड कपड़ों के दामों में अप्रैल के महीने से 50 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. कपड़ा उद्योग में ऐसी महंगाई इससे पहले साल 1974-75 के दौरान देखी गई थी. मध्य प्रदेश के इंदौर के एमटी क्लॉथ मार्केट के व्यापारी अचानक बढ़ते दामों को लेकर हैरानी जता रहे हैं.
बताया जा रहा है कि वस्त्र निर्माण में काम आने वाला ‘आरएफडी’ क्वॉलिटी का कपड़ा जो पहले 135 रुपये मीटर था, अब 175 से 180 रुपये प्रति मीटर की दर से बिक रहा है. इंदौर रेडीमेड वस्त्र निर्माता संघ के अध्यक्ष आशीष निगम ने एक हिंदी अखबार को बताया कि कपड़ा तो महंगा हुआ ही है, धागे से लेकर हुक-चेन व अन्य सामग्री भी महंगी है. उनका कहना है कि अप्रैल महीने से रेडीमेड गारमेंट्स की कीमतें 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ने के पूरे आसार हैं. निगम ने बताया कि पुरानी बुकिंग के कारण मजबूरी में इस महीने लागत मूल्य पर सप्लाई करनी पड़ रही है.
कपड़ा व्यापारियों के मुताबिक मिलों ने अपना उत्पादन घटा दिया है. कपड़ा ब्रोकर सभी डील नकद में कर रहे हैं. टेक्सटाइल मिलें हर दिन दाम बढ़ा रही हैं. सूरत और भीलवाड़ा में बनने वाले सिंथेटिक क्वॉलिटी के कपड़ों में 30 से 35 फीसदी की तेजी आई है. जबकि सूती कपड़े भी 25 फीसदी महंगे हो गए हैं. दामों में लगी इस आग की वजह से बाहर के व्यापारियों ने माल मंगवाना बंद कर दिया है.
क्यों बढ़ रहे हैं दाम
कपड़ा उद्योग में अचानक से आई इस तेजी की मुख्य वजह पेट्रोल-डीजल के दामों में हुई बढ़ोतरी को माना जा रहा है. पेट्रोल-डीजल के महंगा होने की वजह से ट्रांसपोर्ट का खर्च काफी बढ़ गया है. ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ने के कारण रंगों से लेकर केमिकल और सिंथेटिक यार्न तक सभी महंगे हो गए हैं. क्रूड ऑयल का इस्तेमाल सिंथेटिक यार्न में कच्चे माल के तौर पर भी होता है. इसके महंगा होने की वजह भी कपड़े महंगे हो रहे हैं. इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि कोरोना की वजह से बांग्लादेश से लेकर यूरोपीय देशों तक में कपड़े बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री अब चीन की जगह भारत से की जा रही है.