कोरोना आपदा के दौरान शिवराज सरकार की नाक के नीचे हुआ करोड़ों रुपए के राशन घोटाला
भोपाल: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर कोरोना काल के दौरान करोड़ों रुपए के राशन घोटाले करने का आरोप है. दिग्गज कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सबूतों के साथ आरोप लगाया है कि महामारी के दौर में जो गरीबों को अनाज बांटने थे, उसे बीच में ही डकार लिया गया. कांग्रेस नेता ने इसे महाराशन घोटाला करार देते हुए कई हितग्राहियों को भी मीडिया के सामने लाया है, जिन्हें करीब 50 से 60 किलो कम राशन मिले. उन्होंने इस पूरे घोटाले की एसआईटी जांच की मांग की है.
11 लाख 75 हजार मीट्रिक टन खाद्यान वितरित होना था
राज्यसभा सांसद ने इस संबंध में प्रेस कांफ्रेंस और विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि, ‘पीएम मोदी द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में भारत सरकार द्वारा 26 अप्रैल 2021 को पत्र भेजकर प्रदेश में 4 लाख 70 हजार मैट्रिक टन गेहूं का आवंटन दिया गया. इसी प्रकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पात्र परिवारों को करीब 7 लाख 5 हजार मैट्रिक टन खाद्यान का वितरण होना था.’
लेकिन न पात्र लोगों को पूरा अनाज मिला, न राहत मिली. सिंह ने बताया कि, ‘वितरित किये जाने वाले खाद्यान में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले नीले रंग के कार्ड धारी परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 किलोग्राम अनाज मुफ्त दिया जाना था. प्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की सदस्य संख्या 4 करोड़ 70 लाख 46 हजार है. इसी प्रकार अति गरीब और निराश्रित परिवारों के पीले राशन कार्ड पर एकमुश्त 35 किलोग्राम अनाज मिलना था. प्रदेश में पीले कार्ड रखने वाले अन्त्योदय परिवारों की तादाद करीब 55 लाख 50 हजार है. ऐसे परिवारों को 1 किलोग्राम शक्कर के साथ-साथ नमक और मिट्टी तेल की भी पात्रता है. कोरोना की महामारी के दौरान जब प्रदेश में हजारों लोग प्रतिदिन संक्रमित होकर मौत से जूझ रहे थे और सैंकड़ों लोग दूसरी लहर में जान गवां रहे थे. उसी दौरान मध्यप्रदेश का राशन माफिया भीषण आपदा में भ्रष्टाचार का अवसर ढूंढ रहा था.
CBI अथवा SIT जांच की मांग
दिग्विजय सिंह के मुताबिक इसके बाद जब उन्होंने अपने लोगों को पड़ताल करने के लिए भेजा तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. राजधानी में सरकार की नाक के नीचे भोपाल जिले में घोटाले हुके. हितग्राही ऑन कैमरा बयान दे रहे है कि उन्हें मिलने वाले राशन का आधा हिस्सा भी नहीं दिया गया है. आश्चर्यजनक यह है कि उचित मूल्य की दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों ने खाद्य सुरक्षा के पोर्टल पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की एंट्री तो की है पर पूरा राशन नहीं दिया. इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा मिशन के हितग्राहियों की पोर्टल पर किसी भी तरह की एन्ट्री नहीं की गई है.’ उन्होंने मांग की यह कि इस महाघोटाले की सीबीआई अथवा एसआईटी से जांच कराई जाए.