रामनिवास रावत किस विभाग के मंत्री! बोले ‘गृहमंत्री के रूप में वनों का संरक्षण करूंगा’, कांग्रेस ने ली चुटकी…
भोपाल : रामनिवास रावत को मोहन कैबिनेट में वन और पर्यावरण मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिली है। लेकिन एक बार फिर उनकी ज़बान फिसली है और इसके बाद कांग्रेस उन्हें घेर रही है। कांग्रेस ने सवाल किया है कि वो गृह मंत्री के रूप में सहयोग करने का वचन दे रहे हैं..तो आख़िर वे किस विभाग के मंत्री हैं।
कांग्रेस ने रामनिवास रावत को घेरा
दरअसल..रामनिवास रावत का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो कहते दिख रहे हैं कि “गृहमंत्री के रूप में वनों का संरक्षण करूंगा”। इसके बाद अब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उनपर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि ‘अपनी मातृ संस्था कांग्रेस को अलविदा कर मात्र 15 मिनिट में दो मर्तबा राज्यमंत्री फिर कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने वाले मंत्री रामनिवास रावत जी,जिन्हें शपथ ग्रहण के 13 दिन बाद CM मोहन यादव जी ने वन-पर्यावरण विभाग का जिम्मा सौंपा है (हालाँकि वे बहुत भले व्यक्ति हैं),लगता है बहुत जल्दी में है। PM नरेंद्र मोदी जी और CM साहब के विकसित-समृद्ध भारत के निर्माण में “देश के,राज्य के गृह मंत्री” के रूप में उन्हें सहयोग करने का वचन दे रहे हैं ! भाजपा में प्रवेश ज़रूर ले लिया है किंतु वहां adjust होने में समय तो लगेगा ?’
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हुए हैं शामिल
बता दें कि रामनिवास रावत को 8 जुलाई को मोहन कैबिनेट में शामिल किया गया था। इसके तेरह दिन बाद उन्हें वन और पर्यावरण मंत्रालय सौंपा गया। रावत लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से वे छह बार विधायक रह चुके हैं। रामनिवास रावत ओबीसी वर्ग के बड़े नेता हैं और विधानसभा चुनाव के बाद जीतू पटवारी को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने सहित कई बातों को लेकर पार्टी से नाराज़ चल रहे थे। अब मोहन मंत्रीमंडल में शामिल हो चुके रामनिवास रावत दिग्विजय सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें 8 बार विधायक प्रत्याशी बनाया जिसमें से 6 बार वे जीते और दो बार हार गए। वहीं दो बार वे सांसद पद के लिए भी कांग्रेस प्रत्याशी रहे, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से ही कांग्रेस आलाकमानी की अनदेखी और नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने को लेकर वो पार्टी से नाराज़ चल रहे थे और इसके बाद बीजेपी में शामिल हो गए।