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बीजेपी का 32 साल पुराना सपना हुआ पूरा, राजमाता विजयाराजे साल 1988 में लाईं थीं मंदिर निर्माण का प्रस्ताव

भोपाल : आज अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिया. 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में एक नया अध्याय लिखा गया. राम मंदिर के लिए इस देश ने बहुत लंबा इंतजार किया था. इस मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चले थे, जिसमें कईओं ने अपनी जान तक न्योछावर कर दी. लेकिन ये सपना आज पूरा हो गया अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भाजपा द्वारा 1990 में निकाली गई रथ यात्रा इस मंदिर के लिए मील का पत्थर साबित हुई. लेकिन क्या आप ये जानते हैं बीजेपी में पहली बार राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव कौन लेकर आया था?

साल 1988 में रखा गया था राम मंदिर का प्रस्ताव

अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहे थे. सोमनाथ से लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा निकाली गई रथयात्रा ने इस देश के लोगों को रामजन्मभूमि आंदोलन से जोड़ दिया था. 1988 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक में मंदिर निर्माण के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया पहली बार प्रस्ताव लेकर आईं थीं. इसी प्रस्ताव के बाद राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के प्रमुख एजेंडे में शामिल हो गया. राजमाता विजयराजे सिंधिया बीजेपी की संस्थापक सदस्य थीं और उनके प्रस्ताव के बाद ही रथ यात्रा का आयोजन किया गया था.

आंदोलन का प्रमुख हिस्सा रहीं राजामाता विजयराजे सिंधिया

राजमाता विजयाराजे सिंधिया रामजन्भूमि आंदोलन का प्रमुख चेहरा थीं. वो राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से सक्रिय रहीं. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में जब सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली तो विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें पूरा सहयोग दिया था. कुछ लोग यहां तक कहते हैं कि इस आंदोलन को किसी भी तरह की आर्थिक असहयोग न हो, इसके लिए उन्होंने अपनी निजी सम्पति भी दान की थी.

कार सेवकों को किया था संबोधित

6 दिसंबर 1992 की कारसेवा के दौरान भी अयोध्या में राजमाता अहम भूमिका में रहीं और राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया. अयोध्या के रामकथा कुंज के मंच से राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भी कारसेवकों को संबोधित किया था. राजमाता सिंधिया कारसेवा के दौरान वहां मौजूद थीं और इसी कारसेवा में बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया गया था. इसलिए राजमाता सिंधिया को भी बाबरी विध्वंस मामले का आरोपी बनाया गया था.

राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में मध्य प्रदेश से राजमाता विजयाराजे सिंधिया के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, जयभान सिंह पवैया की मुख्य भूमिका थी. ऐसा कहा जाता है कि इस आंदोलन के दौरान 36 हजार कार सेवक मध्यप्रदेश से गए थे.

बीजेपी के घोषणापत्र में आए राम

1990 की रथ यात्रा के बाद राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के घोषणा पत्र में शामिल हो गया. बीजेपी के 8 बार के घोषणा पत्र में राम मंदिर का उल्लेख किया गया. यहां तक की 2019 के घोषणा पत्र में भी राम मंदिर का जिक्र किया गया था. लेकिन मामला कोर्ट के आधीन था. विरोधी पार्टियां बीजेपी पर राम मंदिर के मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाती रही थीं. कुछ लोग तो यहां तक कहते थे कि बीजेपी सिर्फ राम मंदिर के नाम पर कई सालों तक वोट बटोरना चाहती है, क्योंकि जिस दिन राम मंदिर का निर्माण हो गया उस दिन से यह मुद्दा राजनीति का न रहकर आस्था का विषय बन जाएगा.