अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर उठे सवाल : हटाना था रहवासी एरिया, हटा दीं दुकानें, संचालकों का कहना नोटिस की बात दूर रही सामान हटाने तक का समय नहीं दिया
भोपाल। राजधानी भोपाल के रेलवे स्टेशन नंबर 6 की तरफ ईरानी डेरे के बाहर दुकानों पर की गई कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह है कि जब डेरा अतिक्रमण में था, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। सिर्फ उसके बाहर बनी दुकानों को क्यों हटाया गया? हालांकि दुकानदारों का कहना है कि वह तो यह दुकान 30 साल से अधिक समय से किराए पर लिए हुए थे।
उन्हें नोटिस तो दूर की बात रही सामान हटाने तक का समय नहीं दिया। ऐसे में अब उनके सामने अपना और कर्मचारियों का घर चलाने का बड़ा संकट पैदा हो गया है। कोरोना से जैसे-तैसे उभरकर अभी संभालना ही शुरू किया था कि प्रशासन की इस कार्रवाई ने उनकी कमर तोड़ दी।
कार्रवाई पर इसलिए उठ रहे सवाल
जानकारी के अनुसार भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 के बाहर ईरानी डेरा है। इसमें करीब 900 लोग रहते हैं। यह डेढ़ एकड़ में फैला हुआ है। रहवासी एरिया चारों तरफ से बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ है, जबकि इस बाउंड्री वॉल के बाहर की तरफ दुकानें बनी हुई थी। यह दुकान किराए पर चल रही थी, जबकि कुछ डेरा द्वारा चलाई जा रही थी। प्रशासन के अनुसार जमीन पर हुसैनी जन कल्याण समिति अपना कब्जा बताती है।
शासन और हुसैनी जन कल्याण समिति के बीच न्यायालय में प्रकरण चला। वर्ष 2017 में प्रशासन यह केस जीत गया और जमीन सरकारी घोषित हो गई, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस दौरान पिछले दिनों भोपाल की अमन कॉलोनी स्थित ईरानी डेरे पर कार्रवाई के दौरान पुलिस पर हमला कर दिया था, जिसके बाद एक बार फिर पुरानी फाइलें खोली गईं।
हालांकि 10 दिन में तीन बार यह कार्रवाई टाली गई। आखिरकार शनिवार सुबह अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। शुक्रवार शाम को प्रशासन की टीम मौके पर नपती करने पहुंची थी, तब यह कहा जा रहा था कि रहवासी एरिया को हटाया जाएगा, लेकिन प्रशासन ने सुबह सिर्फ दुकानों पर ही कार्रवाई कर उन्हें ध्वस्त किया। ऐसे में सवाल उठ रहा है एक बार फिर क्यों अवैध बताए जा रहे ईरानी डेरे के रहवासी इलाके में कार्रवाई नहीं की गई?
दुकानदार का दर्द
अतिक्रमण की कार्रवाई का दर्द झेल रहे संतोष कुमार ने बताया कि उनका 30 साल से यहां अनिल सागर भोजनालय नाम से होटल था। यह होटल उन्होंने किराए पर ले रखी थी। इसका वह इमरान खान नाम के व्यक्ति को 30 हजार रुपए महीना किराया देते थे। इमरान खान कोहेफिजा में रहते हैं। इससे ज्यादा वे उनके बारे में कुछ नहीं जानते हैं।
संतोष ने आरोप लगाया कि शुक्रवार शाम प्रशासन की टीम आई थी और उन्होंने कहा था कि सुबह 6 बजे तक अपना सामान हटा लो। उसके बाद उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। रात भर अपने कर्मचारियों के साथ सामान हटाते रहे और भविष्य के बारे में सोचते रहे, लेकिन एक रात में इतना सामान उठाना संभव नहीं था।
सुबह प्रशासन ने कार्रवाई की। उन्हें संभलने तक का मौका नहीं दिया। ऐसे में अब उनके और उनके कर्मचारियों के सामने परिवार पालने का संकट पैदा हो गया है। हालांकि इस संबंध में अन्य कोई दुकान संचालक ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं।
ईरानी डेरे द्वारा संचालित हो रही थी दुकानें
ईरानी डेरे में रहने वाले मुस्लिम अली ने बताया कि उनकी एक दुकान यहां थी, जबकि दो-तीन दुकान उन्होंने किराए पर दे रखी थीं। उनकी बहन की एक दुकान है। पति नहीं है। वही उस दुकान से पूरा घर चलाती थी। इसके अलावा भी कुछ और ईरानियों ने यहां पर दुकान किराए पर दे रखी थी। मुख्य रूप यहां पर चश्मा, मोबाइल और खाने-पीने की दुकानें ही संचालित हो रही थीं।
ईरानी डेरे में रहने वाले अकरम अली का कहना था कि वे करीब 60 साल पहले उनके पूर्वज यहां आए थे। उसके बाद से ही यही उनका घर था।
भोपाल 60 साल पहले आए थे
ईरानी डेरे में रहने वाले अकरम अली ने बताया कि उनके पूर्वज ईरान से यहां आए थे। वे मूलत: सिया मुस्लिम हैं। तब यहां जंगल था। उन्हें यहां पर एक राठौर फैमिली ने बसाया था। उन्होंने यह जगह उन्हें दी थी। यह सरकारी जगह नहीं थी। उनका कोई खास बिजनेस नहीं था।
वह खानाबदोश थे। फिर यहां पर सड़क बनी और यहां पर दुकानें बन गई। इसमें किराने की दुकान होटल और चश्मे की दुकान खोल लीं। उनका मुख्य व्यापार चश्मे का है। उसी से उनका घर परिवार चल रहा था। उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया है। बीकॉम से लेकर वकालत तक कराई, लेकिन अब इस कार्रवाई के बाद उनके पास जीवन यापन के लिए दूसरा कोई साधन बचा नहीं है।
वह 60 साल से अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। उनका आधार कार्ड वोटर कार्ड सब कुछ है। सिर्फ वोट डालने का अधिकार है, लेकिन सरकार की कोई योजना हैं। पुलिस को अमन कालोनी के ईरानी डेरे पर कार्रवाई करना चाहिए थे। उनके किए का वे भुगत रहे हैं।