राजनीती ने किसानों को बना दिया डिफाल्टर
भोपाल: हाल ही में विधानसभा में लिखित रुप से किसानों की कर्जमाफी की बात को स्वीकार करने वाली भाजपा की शिव सरकार पूरी तरह से इस मामले में बैकफुट पर है. अब इस मामले में अपने आरोप सही साबित करने के लिए सरकार श्वेतपत्र का दांव चलने की तैयारी कर रही है. इस मामले में कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि सरकार श्वेत पत्र लाकर कर्जमाफी की हकीकत जनता के सामने रखेगी. उनका आरोप है कि कांग्रेस ने किसानों के साथ धोखाधड़ी की है. सरकार उसके झूठ को उजागर करेगी. पटेल का कहना है कि किसी भी मामले में स्वीकृति देना अलग बात होती है और माफ करना अलग. उनका कहना है कि कांग्रेस की नाथ सरकार ने 46 लाख किसानों का 54 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने का आदेश दिया था, लेकिन सिर्फ 6400 करोड़ रुपये की कर्जमाफी ही की गई है. उनका कहना है कि हरदा, होशंगाबाद सहित अधिकांश जिलों में कलेक्टरों ने प्रकरण स्वीकृत कर दिए पर सरकार ने राशि ही नहीं दी. उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार में सहकारी संस्थाओं को खत्म करने का अपराध भी किया गया है. इन सहकारी बैंकों को बचाने के लिए 800 करोड़ रुपये की राशि शिवराज सरकार द्वारा दी गई है.
डिफाल्टर बने किसान
कर्जमाफी की उम्मीद में किसानों ने कर्ज नहीं चुकाया और इसकी वजह से वे बैंक द्वारा डिफाल्टर कर दिए गए हैं. उनका कहना है कि सहकारी संस्थाओं से जबरदस्ती 25 हजार रुपये प्रति किसान माफ करा दिए, जबकि इसका प्रशासकों को अधिकार ही नहीं था. संस्था का बोर्ड ही इस बारे में निर्णय ले सकता था. विधानसभा में विभाग की ओर से दिए उत्तर पर पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा में जो आंकड़े दिए गए थे वे कर्जमाफी के पात्रों व उनका कितना कर्ज माफ किया जाएगा, इसे लेकर थे. इन्हें कलेक्टरों ने पोर्टल पर चढ़ाया था, जबकि किसानों के खातों में पैसे ही नहीं गए. उनका आरोप है कि कांग्रेस ने किसानों का फसल बीमा नहीं दिया. ऋण की सीमा को भी सौ फीसद से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया। इससे किसानों को 1,553 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. इस मामले में अब कमल नाथ के खिलाफ धारा 420 और 120 के तहत मामला दर्ज कराएंगे. कर्जमाफी में यदि कोई घोटाला हुआ है तो उसकी जांच कराकर कार्रवाई करेंगे.