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ग्वालियर-चंबल अंचल में डकैतों को खोजने के लिए बनाए गए थाने, अब ढूंढते हैं चोरी गए मवेशी

ग्वालियर। डकैतों के लिए बदनाम ग्वालियर-चंबल अंचल में अब कोई गिरोह सक्रिय नहीं है। 1980-90 में दस्युओं का भय बस्तियों से लेकर बीहड़ और जंगलों तक ऐसा था कि राज्य सरकार को इस क्षेत्र में 20 से ज्यादा एंटी डकैत (एडी) थाने व पुलिस चौकियां बनानी पड़ीं। इनका एकमात्र काम डकैतों पर अंकुश लगाना था। बीते एक दशक से चंबल में कोई डकैत गिरोह सक्रिय नहीं है, फिर भी एडी थाने, चौकियों से लेकर हर जिले में एडी टीम तैनात है। हाल यह है कि अब यह टीम चोरी गए भैंस, बकरियों को ढूंढती है। यही नहीं, एंटी डकैत टीमों को आधुनिक हथियार व अलग से सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

हाल ही में ऐसा ही एक रोचक मामला सामने आया। मुरैना जिले की पहाड़गढ़ जनपद के कहारपुरा गांव निवासी बलराम पुत्र छीतरिया बाथम को 23 नवंबर को कुछ बदमाशों ने बांध दिया और उसकी 28 बकरियों को हांक ले गए। पहाड़गढ़ व निरार एंटी डकैत थाना के अलावा एसपी अनुराग सुजानिया ने एडी की 14 सदस्यीय टीम को बकरियां ढूंढने के काम में लगाया।