Indore

पीएम मोदी ने की इंदौर से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं से बात

इंदौर के 12 साल के मास्टर अवि शर्मा को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है। अवि इतनी कम उम्र में अवि प्रेरक वक्ता होने के साथ ही बहुत अच्छे लेखक भी है। इंदौर के अवि से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरीए चर्चा की। जहां अवि ने मोदी के कई सवालों का बहुत ही सादकी के साथ जवाब दिया। पीएम मोदी ने मास्टक अवि की लिखी बालमुखी रामायण को लेकर सवाल किए।अवि इंदौर के बिरला ओपन माइंड स्कूल में पढ़ते हैं। उनके पित अमित शर्मा और विनीता शर्मा ने बताया कि अवि की बचपन से ही साहित्य व धर्म में रूचि है।कुछ ऐसा रहा पीएम मोदी और मास्टर अवि के बीच संवाद पीए मोदी – आप लेखक हैं, व्याख्यान देते हैं और आपने बालमुखी रामायण भी लिखी है। इतना काम कैसे कर पाते हैं, बचपन बचा है कि वो भी खत्म हो गया है। अवि – सब भगवान राम की कृपा के आशीर्वाद से हो पा रहा है। मोदी- रामायण के संबंध में लिखने का ख्याल कैसे आया। अवि- इसका प्रेरणास्रोत आप ही रहे हैं। लॉकडाउन में जब हम बच्चे हताश हो गए थे तो आपने टीवी पर रामायण प्रसारित कराई गई। जब रामायण को देखा तो लगा कि भगवान राम का चरित्र बच्चे भूलते जा रहे हैं। भगवान राम के आदर्श बच्चे इस रामायण से सीख सकें इसलिए मैंने यह रामायण लिखी है। मोदी- कौन से भगवान हैं, जो आपका आदर्श हैं। अवि- ये एक ही हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम। मोदी- परिवार में सब तंग आ जाते हों जब तुम दिनभर रामायण-रामायण करते होंगे। अवि- मेरे माता-पिता सपोर्ट करते हैं। इनसे ही रामायण, महाभारत और गीता सुनी है। मोदी- कोर्ट में जैसे धाराओं का उपयोग करके लड़ते हैं, वैसे ही आप शास्त्रों का उपयोग करके लड़ते होंगे। अवि- मैं बच्चों को शास्त्रों और भारतीय कल्चर के बारे में बताता हूं। मोदी- मध्य प्रदेश के पानी में ही कोई विशेषता है कि इस प्रकार के बच्चे पैदा होते हैं। अवि- मालवा की भूमि ही महान रही है। मोदी- एक कहानी सुनाता हूं। उमा भारती जी जो मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं। वे व्याख्यान देती थीं जब बहुत छोटी थीं। हम भी सुनने के लिए गए थे। वे धाराप्रवाह वक्तव्य देती थीं। शास्त्रों का सटीक उल्लेख करती थीं। संस्कृत बोल लेती थीं और चौपाइयां गा लेती थीं और बचपन भी दिखता था। मैं बहुत प्रभावित हुआ था। मुझे लगा था कि मध्यप्रदेश में ऐसी ताकत है, जो ऐसे लोग बचपन में ही तैयार हो जाते हैं। आपकी उम्र और आपका काम इस बात को साबित करता है कि बड़े काम करने के लिए कोई उम्र छोटी नहीं होती है।