प्रदेश में हो रहा कोरोना मरीजों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़…
जिला अस्पताल में कोरोना की दवा किट में मात्र चार प्रकार की दवाइयां, दिखावे के लिए फोन लगाकर पूंछते हैं मरीजों के हाल…
धार. प्रदेश में कोरोना की रफ्तार भले ही धीमी है लेकिन जिला अस्पताल में कोरोना के मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है. भले ही कोरोना की तीसरी लहर जानलेवा नहीं है वर्ना स्वास्थ्य विभाग का महकमा आम आदमी को मौत की नींद सुलाने में देर नहीं करता.
धार जिले में कोरोना की दूसरी लहर में जितनी भी मौत हुई हैं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही भी कहीं न कहीं कारण बनी होगी. जब हमारे संवाददाता ने जब जमीनी हकीकत जानने के लिए कोविड कमांड सेंटर, कोरोना वार्ड, व कोविड दवा किड की जानकारी मौके पर जाकर ली तो देखा कि उपचार के नाम पर मात्र चार प्रकार की दवाइयां कोरोना किट में मरीजो को दी जा रही हैं। जिनमे प्रमुख रूप से पैरासिटामोल 650 mg, मल्टीविटामिन, एंटी एलर्जिक, विटामिन सी एवं होम आइसोलेशन में रहने के दिशा निर्देश का पम्पलेट, रखा हुआ है. उपचार के नाम पर नाममात्र की दवाइयां दी जा रही हैं. कोरोना की तीसरी लहर में अधिकांश मरीज निमोनिया से पीढ़ित हैं और बुखार, सर्दी, खांसी, बदन दर्द की शिकायत कर रहे हैं. सर्दी खांसी से पीढ़ित मरीजो को आराम नहीं मिल रहा है.
कोरोना सेंटर पर बैठे स्टाफ का रवैया गैर जिम्मेदाना…
जिला अस्पताल के कोविड सेंटर पर बैठे हुए स्टाफ का रवैया भी गैर जिम्मेदाराना है. यहां आने वाले मरीजो से स्टाफ बहुत ही रूखे अंदाज में बात करता हैं और ज्यादातर समय मोबाइल चलाने में ही व्यस्त रहता हैं. कोविड कमांड सेंटर पर अनुभवहीन स्वास्थ्य कर्मियों को बिठाया गया है. कोविड कमांड सेंटर से जिम्मेदार अधिकारी नदारद पाए गए है. अस्पताल में शिकायत करने पर जवाब मिलता है दवाइयां बाजार से खरीद लो. कोरोना की दवा किट एक बार ही दी जाती हैं तो कोविड कमांड सेंटर से दिखावे के लिए फोन लगाकर मरीजो का हालचाल क्यों पूंछा जा रहा हैं? जब पूरा उपचार ही नहीं करना है.
इसी प्रकार कोरोना वार्ड में एक भी मरीज नही था जिन्हें समझाइश देकर होम आइसोलेशन की सलाह देते हुए जिला अस्पताल से रवाना कर दिया और कुछ मरीज खुलेआम अस्पताल परिसर में बग़ैर मॉस्क के देखे गए. दूसरी ओर जिला अस्पताल का स्टॉफ भी बग़ैर मॉस्क के कार्य कर रहा है. दूसरे वार्ड में कोरोना से शंकास्पद मरीज भर्ती थे जो बिना मॉस्क लगाए उनके परिजन बैठे हुए थे. वार्ड में मरीजो की देखरेख के मात्र एक सिस्टर नजर आई. मरीजो से पूंछा गया तो उन्होंने बताया कि हमे कोई डॉक्टर देखने के लिए नहीं आते हैं सिर्फ स्टाफ की नर्स ही दवा गोली देकर चली जाती हैं और खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन भी नहीं मिल रहा है. लापरवाही का आलम यह था कि कोरोना वार्ड के नजदीक गंदा कचरा गाय खाती हुई दिखाई दे रही थी. जिला अस्पताल में लापरवाही व गंदगी पसरी हुई थी. जिम्मेदार अधिकारी जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डॉ संजय भंडारी सिर्फ कागजो में कोरोना को संचालित कर रहे हैं।धरातल पर कोई कार्य दिखाई नहीं दे रहा है और अव्यवस्था और लापरवाही चारो तरफ दिखाई दे रही हैं.
प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी गोलमोल जबाब देते नजर आए…
जब इस संबंध में संवाददाता ने विभाग के जिम्मेदार अधिकारी प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रूबरू चर्चा की तो सीएमएचओ डॉ मालवीय ने बताया कि कोरोना मरीजो को उपचार के रूप दवा की किट दी जा रही हैं. मरीज होम आइसोलेशन में भर्ती हैं कोई परेशानी हो तो जिला अस्पताल में भर्ती होंगे तो उपचार दिया जायेगा. होम आइसोलेशन वाले मरीजो को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. व्यवस्था के नाम पर गोलमोल जवाब दिया जा रहा था. सीएमएचओ संवाददाता के सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये. प्रभारी सीएमएचओ डॉ मालवीय पद की गरिमा के विपरीत हैं और विभाग की जिम्मेदारी को नहीं समझ रहे हैं. ऐसे जिम्मेदार अधिकारी के रहते स्वास्थ्य विभाग की हालत बद से बदतर हो सकती हैं. स्वास्थ्य विभाग को संभालने में सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं. भगवान भरोसे हैं धार जिले का स्वास्थ्य महकमा, जबकि राज्य सरकार के द्वारा दवाइयां व मशीनरी संसाधन व्यवस्था के नाम पर करोड़ो रूपये की राशि दी जा रही हैं. किंतु इसका लाभ आम तौर पर जिला अस्पताल में आम आदमी को नही दिया जा रहा है. जिला अस्पताल की व्यवस्था व मरीजो के उपचार के नाम पर लाखों रुपये का भ्रष्टाचार कर फर्जी बिल लगाकर लाखो रुपये का भुगतान स्वीकृत किया जाकर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, तथा जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए हैं. आम जनता परेशान व त्रस्त हो रही है. जिला अस्पताल में लंबे समय से एक्सरे फ़िल्म नहीं है मोबाइल पर एक्सरे मरीज को दिया जाता हैं. ग्रामीण वृद्ध के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं होने पर डॉ के मोबाइल फोन पर भेजा जाता हैं जिससे डॉ भी नाराज होते हैं.