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Pitra paksha 2020: जानिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण की पूरी विधि

पितृपक्ष चल रहा हैं, इन दिनों को हिंदू धर्म में खास माना जाता हैं पंचांग के मुताबिक आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की तिथि में मनाया जाता हैं। चतुर्थ श्राद्ध को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया हैं ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने औश्र पितरों को याद करने से बड़े बुजुर्ग प्रसन्न हो जाते हैं तो आज हम आपको श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण की पूरी विधि बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की महाभारत में भी पितृपक्ष का वर्णन किया गया हैं महाभारत में युधिष्ठिर को भीष्म पितामह ने पितृपक्ष का महत्व बताया था। यही नहीं, भगवान कृष्ण के पितृपक्ष का महत्व बताने पर ही युधिष्ठिर ने कर्ण का श्राद्ध किया था।

हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक आश्विन मास का श्राद्ध बहुत ही खास होता हैं इसमें पिंडदान, दान तर्पण करना अच्छा माना जाता हैं

इसमें चावल, दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाएं और फिर उसे पितरों को अर्पित कर दिया जाता हैं इसके अलावा जल में जौ, काले तिल, सफेद पुष्प, कुशा डालकर पूर्वजों को तर्पण दिया जाता हैं इसके बाद गरीबों को दान और ब्राह्मण को भोज कराया जाता हैं। श्राद्ध कर्म के बहुत ही खास माना जाता हैं ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन पितरों का श्राद्ध करना उचित होता हैं पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी में करना अच्छा होता हैं।

अगर किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हुई हो तो आप चतुर्दशी के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। द्वादशी के दिन साधु व संन्यासियों का श्राद्ध अच्छा माना जाता हैं अगर आपको पितरों की मृत्यु तिथि याद ना हो तो आप अमावस्या तिथि में श्राद्ध कर सकते हैं ऐसा करने से पितृ भी खुश होंगे और उनकी कृपा दृष्टि भी बनी रहेगी।