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पायलट दीपक साठे की समझदारी से वजह से बच पायी लोगों की जान

कोझीकोड में शुक्रवार को हुए प्लेन हादसे में पायलट दीपक साठे की सूझबूझ के कारण ही प्लेन में आग नहीं लग सकी और प्लेन में सवार 169 यात्रियों की जान बच सकी. बताया जा रहा है कि दीपक साठे को ये पता चल गया था कि प्लेन क्रैश होने वाला है. इसलिए उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के बारे में सोचा. दीपक साठे को 36 साल का एक्सपीरियंस था और ये एयरफोर्स में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वहीं शुक्रवार के दिन एयर इंडिया विमान के लैंडिंग गियर्स ने काम करना बंद कर दिया था. जिसकी वजह से विमान हादसे का शिकार हो गया.

खबरों के अनुसार विमान के लैंडिंग गियर्स के बंद होने के बाद दीपक साठे ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए. ताकि विमान का फ्यूल खत्म हो जाए और विमान सही से लैंड हो जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो सका और तीसरे चक्कर के बाद उन्हें विमान को लैंड करना पड़ा. वहीं विमान को लैंड करते समय राइट विंग टूट गया था. जिसके बाद इन्होंने बिना कोई देरी किए सबसे पहले इंजन बंद कर दिया. ताकि प्लेन में आग ना लग सके. दीपक साठे के इंजन बंद करने की वजह से प्लेन क्रैश होने के बाद भी उसमें आग नहीं लगी और यात्रियों की जान बच गई. एयर इंडिया के पायलट दीपक साठे ने अपनी जान की फिक्र किए बिना यात्रियों का बचा लिया.

दीपक साठे 1990 में भी विमान हादसे के शिकार हुये थे

नीलेश जो की दीपक साठे के दोस्त हैं उन्होंने ने बताया कि 1990 के दशक में एक प्लेन क्रैश हुआ था जिसमें ये बच गए थे. हालांकि इनके सिर पर कई चोट आई थी और ये 6 महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे थे. हमने सोचा नहीं था कि ये दोबारा प्लेन नहीं उड़ा पाएंगे. वहीं ये वंदे भारत मिशन में शामिल होने पर काफी खुश थे. इन्हें गर्व था कि ये अरब देशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी करवा रहे हैं.