400 साल पुराने बरगद के पेड् को बचाने के लिए लोग पेड़ से चिपके, स्टेट हाइवे का नक्शा बदला
सांगली। महाराष्ट्र के सांगली के भोसे गांव के लोगों ने 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को कटने से बचाने के लिए गांव वालों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया। यह स्टेट हाईवे के बीच में आ रहा था। गांव वालों को पता चला तो वे पेड़ को घेर कर खड़े हो गए और चिपको आंदोलन शुरू कर दिया। खबर केंद्र तक पहुंची तो लोगों की भावनाओं को देखते हुए सरकार को सड़क का नक्शा बदलने का फैसला करना पड़ा।
रत्नागिरी-सोलापुर हाईवे पर यह पेड़ येलम्मा मंदिर के पास है। यह करीब 400 वर्गमीटर में फैला है। यह पेड़ यहां के लोगों की परंपरा से जुड़ा है। इस पर कई किस्म की चिड़ियों और जानवरों को भी देखा जाता रहा है।
स्टेट हाईवे-166 के लिए पेड़ को काटने का काम शुरू हो गया था। सांगली के सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने विरोध किया। गांव वालों ने बताया कि उन्हें जुलाई की शुरुआत में पेड़ काटने की बात पता चली। कोरोना की वजह से एक साथ विरोध नहीं किया जा सकता था। पहले 20 लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पेड़ को घेर कर खड़े हो गए। जिसे काफी लोगों का समर्थन मिला।
ऑनलाइन पिटिशन को मिला 14 हजार लोगों का समर्थन
गांव वालों ने सह्याद्री संगठन नाम के एक ग्रुप की मदद से फेसबुक पर इस पेड़ का फोटो अपलोड करना शुरू किया। कई ऐसे वीडियो भी पोस्ट किए जिनमें दिखाया गया था कि पेड़ की शाखाएं कितनी फैली हुई हैं। इस ग्रुप से कुछ ऐसे वीडियो भी अपलोड किए गए जिनमें पेड़ पर बंदर उछल-कूद करते नजर आ रहे थे। इसके लिए ऑनलाइन पिटीशन भी दायर की गई थी, जिसे 14 हजार से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला।
जनभावनाओं को देखते बदला फैसला
इस बारे में राज्य के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखी। लोगों की भावनाओं को देखते हुए गडकरी ने हाईवे के नक्शे में बदलाव करने को कहा है। अब यह हाईवे भोसे गांव की जगह आरेखन गांव से गुजरेगा। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने शुक्रवार को कहा कि पेड़ का तना नहीं काटा जाएगा, लेकिन इसकी कुछ शाखाओं को छांटा जाएगा।