छठ पूजा आज, डूबते सूरज को देंगे अर्घ्य
ग्वालियर: छठ पूजा 20 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जा रही है. शुक्रवार काे डूबते हुए सूरज काे अर्घ्य समर्पित कर सूर्य देव की उपासना व विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. षष्ठी का सूर्योदय सुबह 6:48 बजे होगा व सूर्यअस्त शाम 5:36 बजे होगा. षष्ठी तिथि को पूजा के लिए तालाब या नदी में स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा हाेती है. ऐसे में शहर के विभिन्न घाटों व तालाें पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे. कटोराताल पर अर्घ्य देने व पूजा-अर्चना करने के लिए भी व्यवस्था की गई है.
ऐसे करें षष्ठी की सूर्य पूजा
छठ पूजा वाले दिन, सबसे पहले तीन बांस और पीतल की तीन टोकरियों या सूप लें. एक सूप में नारियल, गन्ना, शकरकंद, बड़ा नीबू, लाल सिंदूर, चावल, कच्ची हल्दी, सिंघाड़ा आदि रखें. दूसरे सूप में प्रसाद के लिए मालपुआ, खीर पूरी, सूजी का हलवा और चावल के लड्डू रखें. तीसरी टोकरी या सूप में कपूर, चंदन, दीया, शहद, पान, सुपारी आदि भी रखें. हर सूप में एक दिया और अगरबत्ती जलाएं. फिर सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी या तालाब में उतरें या घर में ही एक बाल्टी में पानी भरकर रखें व डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन करें. सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए. अर्घ्य देते समय ‘ऊं सूर्याय नम:, ऊं आदित्याय नम:, ऊं नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।” मंत्र को बोलना चाहिए.
सप्तमी तिथि पर किया जाता है छठ पूजा का पारण
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को छठ पूजा का पारण किया जाता है. इस दिन व्रत का पारण सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद किया जाता है. 21 नवंबर को सूर्योदय प्रात: 6:49 बजे तथा सूर्यास्त शाम 05:25 बजे होगा. व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रात:काल होता है. कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रात: काल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्या- के बाद पारण करना चाहिए. प्रत्येक व्रत के अंत में पारण होता है, जो व्रत के दूसरे दिन प्रात: किया जाता है. 21 नवंबर शनिवार उषा अर्घ सूर्योदय का समय 06:48 बजे है.