चंबल में अब जोर पकड़ रहा है नशे का गैरकानूनी कारोबार
कभी हथियारों व बागियों के लिए प्रसिद्ध रहा चंबल अब किसी और वजह से जाना जाने लगा है. हालांकि यह वजह गर्व करने की नहीं अपितु शर्म करने की है. कई दशकों तक अवैध हथियारों के निर्माण और बिक्री का गढ़ माना जाने वाला चंबल अंचल अब अवैध का शराब का गढ़ बनता जा रहा है. माफिया अब कट्टा और बंदूकों का निर्माण बिक्री छोड़ अब शराब के निर्माण और बिक्री में जुट गए हैं.
एक समय था, जब अवैध हथियारों के निर्माण और बिक्री का भिंड जिला गढ़ माना जाता था. भिंड जिले में भी कई जगह देसी कट्टे, बंदूके तैयार होती थीं. लेकिन समय के साथ माफिया भी आसान राह खोजने लगे हैं. बन्दूकों का धंधा कम हुआ और इसकी जगह अवैध शराब ने लेली है.
लंबे अरसे तक चंबल अंचल की पहचान कुख्यात बीहड़ बागी अवैध हथियार और अपहरण उद्योग के रूप में रही. जिले भर में 24 हजार से अधिक लाइसेंसी हथियार हैं, तो दूसरी ओर इससे कई गुना अधिक अवैध हाथ से बने हुए हैंडमेड कट्टे पिस्टल, रिवाल्वर और बंदूकें शक्ति संतुलन बनाने के लिए हर घर में मिल जाएंगे. दबंगई यहां का रसूख मानी जाती है.
बंदूक पर भारी होता नशे का कारोबार
चंबल अंचल में अब अपराधियों ने नया ट्रेंड अपनाया है. अब हथियारों की जगह अवैध शराब बनाना आसान हो गया है. इसके ग्राहक गांव के हर घर में हैं. यही कारण है की ज्यादातर माफिया अब ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब की फैक्टरियां चला रहे हैं. इस साल पुलिस विभाग भिंड जिले में चार बड़ी शराब फैक्टरियां पकड़ चुकी है.
जहां भारी मात्रा में बनी हुई अवैध शराब और भारी मात्रा में एक्स्ट्रा न्यूट्रल ऐल्कोहल जिसे ओपी कहा जाता है पकड़ा गया है. लेकिन अपराधी कानूनी प्रावधानों के दावपेंच में बच कर निकल जाते हैं और दोबारा इस धंधे में लिप्त हो जाते हैं.
कानूनी प्रावधानों का फायदा उठाते हैं माफिया
पुलिस का कहना है की जिले में लगातार अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाइयां की जा रही है. इसमें लिप्त एक आरोपी पर ग्वालियर, भिंड, मुरेना में कुल 40 मामले आबकारी ऐक्ट के तहत दर्ज हैं. वहीं दो एनएसए लगे हैं. ग्वालियर में कानून के कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनका फायदा उठाकर वह अब भी इस धंधे में लिप्त हैं. ऐसे ना जाने कितने लोग हैं जिनकी फैक्ट्री आज यहां है तो कल कही और. रातों-रात सैकड़ों पेटी अवैध शराब तैयार कर रात में ही खपा दी जाती है.
भिंड के अकलौनी में ही पिछले दो महीने में दो बड़ी अवैध शराब शराब फैक्ट्रियां पुलिस ने पकड़ी हैं. पिछले पांच माह में आर्म्स एक्ट के 84 मामले दर्ज हुए जबकि अवैध शराब के 354 केस दर्ज हुए. यानी आर्म्स एक्ट की तुलना में चार गुना से अधिक आबकारी एक्ट के मामले जिले के थानों में दर्ज हुए हैं.