भाजपा सरकार के 14 मंत्रियों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर विधानसभा को नोटिस, 21 सितंबर को अगली सुनवाई
नई दिल्ली/भोपाल। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री बने 14 पूर्व विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष और प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस चीफ जस्टिस एसए बोवडे की पीठ ने जबलपुर उत्तर सीट से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की याचिका पर दिया है। इस पर 21 सितंबर को अगली सुनवाई होगी। मामले में विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि अभी नोटिस नहीं मिला, जब मिलेगा तो नियमानुसार जबाव देंगे।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा ने कोर्ट में दलील दी कि दलबदल कानून में ऐसे पूर्व विधायक जो विधायकी के दरम्यान अपने आचरण से अपनी पार्टी को त्याग देते हैं, उनको इस विधानसभा के कार्यकाल में मंत्री रहने का हक खत्म हो जाता है। जब तक कि वो फिर से चुनाव जीतकर न लौटें। ये कार्रवाई स्पीकर के संवैधानिक दायित्व के तहत आती है।
पांच महीनों तक इस पर कार्रवाई न करके संविधान की अवहेलना की गई है। कांग्रेस पार्टी की 13 मार्च से विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लंबित है, जिसमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने व इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों पर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई कर उनकी अयोग्यता के आदेश पारित करना था। लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं लिया।
यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रमन्ना की बेंच कर्नाटक के मामले को लेकर फैसला दे चुकी है कि दलबदल के मामले में विधायकों को त्यागपत्र के अलावा अयोग्यता का भी दंड संविधान के अनुच्छेद 10 के अनुसार दिया जा सकता है। मणिपुर विधानसभा ने इसी तरह के एक मंत्री के मामले का तीन महीने में निपटारा नहीं किया गया था तो सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री को हटाने के आदेश दे दिए।
इन मंत्रियों पर निशाना
गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युमन सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, हरदीप सिंह डंग, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया, सुरेश धाकड़, रघुराज कंसाना और ओपीएस भदौरिया।