हाईकोर्ट सख्त : आचार्य प्रमोद कृष्णम की सिक्योरिटी क्यों ली वापस, राज्य गृह मंत्रालय सहित आईबी और एनआईए को नोटिस
जबलपुर। आचार्य प्रमोद कृष्णम की सिक्योरिटी वापस लिए जाने के मामले में एमपी हाईकोर्ट ने राज्य शासन, गृह विभाग, गृह मंत्रालय, आईबी और एनआईए को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। बुधवार को जस्टिस विशाल धगट की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। केंद्र सरकार द्वारा पहले सिक्योरिटी देने और फिर छह वर्ष बाद वापस लेने के मामले को चुनौती दी गई है।
वाय प्लस मिली थी सिक्योरिटी
आचार्य प्रमोद कृष्णम की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में अधिवक्ता वरुण तन्खा और राहुल गुप्ता ने पक्ष रखे। दलील दी गई कि कृष्णम को 2013 में केंद्र सरकार की ओर से वाय प्लस सिक्योरिटी दी गई थी। इसके बाद राज्य शासन ने भी 2019 में वाय सिक्योरिटी प्रदान की।
केंद्र व राज्य सरकार ने सिक्योरिटी वापस ले ली
बाद में अचानक केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने भी वाय सिक्योरिटी वापस ले ली। राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता राजेश्वर राज ने कोर्ट में पक्ष रखा। बताया कि देश भर में वीआईपी की सुरक्षा की समीक्षा और एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर ये निर्णय लिया गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस विशाल धगट की कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया।
कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम
यूपी के संभल जिले में जन्मे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अध्यात्म का रास्ता अपनाया है। कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के करीबी थे, कल्कि पीठ संभल के पीठाधीश्वर कृष्णम मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे हैं। कृष्णम ने 2019 में लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर राजनाथ सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। अखाड़ा परिषद् ने उन्हें फर्जी संतों की सूची में डाल दिया था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद भारत में हिन्दू संतों और साधुओं का सर्वोच्च संगठन है। इसमें 14 अखाड़े शामिल हैं। इस पर हंगामा भी हुआ था। मप्र उप चुनाव में उन्होंने ग्वालियर और चंबल में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार भी किया था।