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संसद के इतिहास में पहली बार नहीं होगा प्रश्नकाल

नई दिल्ली : कोरोनाकाल के चलते विलंबित हुए संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. 14 सितंबर से शुरू होने वाला मानसून सत्र बिना कोई अवकाश 1 अक्टूबर तक चलेगा. संसद के दोनों सदनों की कुल 18 बैठकें होंगी. हर दिन के पहले चार घंटे राज्यसभा काम करेगी और अगले चार घंटे लोकसभा. साथ ही इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा. इस पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है. पहले दिन लोकसभा सुबह 9:00 बजे से 1:00 बजे तक बैठेगी, क्योंकि नियमों के मुताबिक, स्पीकर ओम बिड़ला को औपचारिक रूप से सदन के सदस्यों से अनुमति लेनी होगी. ताकि, अपने कक्ष का इस्तेमाल किसी अन्य प्रायोजन के लिए किया जा सके. मसलन राज्यसभा का कामकाज, जिसके सदस्य कार्यवाही के दौरान निचले सदन के कक्ष में भी बैठेंगे. इसके बाद 15 सितंबर से राज्यसभा की कार्यवाही सुबह यानी 9:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक चलेगी और लोकसभा की कार्यवाही शाम 3:00 बजे से 7:00 बजे तक चलेंगी.

72 घंटे पहले होगा सभी का टेस्ट

सत्र शुरू होने से 72 घंटे के पहले सभी सांसदों का टेस्ट किया जाएगा. सांसदों के साथ स्टाफ का भी टेस्ट किया जाएगा. सभी सांसदों के स्टाफ और परिवार का भी टेस्ट किया जाएगा. इसके अलावा संसद सत्र के दौरान भी रैंडम टेस्ट किए जाएंगे. सभी सांसदों के टेस्ट करवाने की व्यवस्था संसद परिसर में ही करवाई जाएगी.

विपक्ष ने जताई नाराजगी

सरकार और विपक्ष के बीच जंग शुरू हो गई है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस मसले पर ट्वीट किया कि मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि प्रश्नकाल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है? संसदीय लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना ऑक्सीजन की तरह है. लेकिन, ये सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह बनाना चाहती है और अपने बहुमत को रबर स्टांप के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी इस मसले पर ट्वीट किया और लिखा कि ऐसा कैसे हो सकता है? स्पीकर से अपील है कि वो इस फैसले को दोबारा देखें. प्रश्नकाल संसद की सबसे बड़ी ताकत है. टीएमसी के राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि हर सांसद का फर्ज है कि वो इसका विरोध करे, क्योंकि यही मंच है जहां आप सरकार से सवाल पूछ सकें. अगर ऐसा हो रहा है तो क्या यही नया नॉम्र्स है, जो इतिहास में पहली बार हो रहा है.